Vasant Panchami  Date 2024: जानिये बसंत पंचमी उत्सव के बारे में, क्या है बसंत पंचमी की कहानी, बसंत पंचमी उत्सव तिथि और पूजा मुहूर्त 2024। जानिए कब है बसंत पंचमी, कैसे मनाया जाता है यह त्योहार और क्या है।

Basant Panchami Festival in Hindi

बसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा भारत में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ पीले रंग का वस्त्र धारण करती हैं।

सरस्वती माता को बुद्धि बल (विद्या ) की देवी कहा जाता है, सरस्वती मंत्र और श्लोक जिसके जाप से विद्या प्राप्ति होती है

बसंत पंचमी का उत्सव 2024

बसंत के समय फूल खिल उठते है, खेतों में सरसो के फूल सोने की तरह चमकने लगते है, जौ और गेहूं की बालियाँ खिलने लगतीं हैं, आम के पेड़ पर बौर आ जाते और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां उड़ने लगतीं हैं।

शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है।

जानिये बसंत पंचमी पर कैसे करे माँ सरस्वती की पूजा क्या है? सरस्वती माता की आरती, मंत्र और पूजा विधि

बसंत पंचमी तिथि 2024

गुरुवार, 14 फरवरी को है।

पंचमी तिथि प्रारंभ : 13 फरवरी 2024 रात 2:29 बजे
पंचमी तिथि समाप्त : 14 फरवरी 2024 पूर्वाह्न 10:28 बजे

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा मुहूर्त 2024

पंचमी तिथि प्रारंभ : 13 फरवरी 2024 रात 2:29 बजे
पंचमी तिथि समाप्त : 14 फरवरी 2024 पूर्वाह्न 10:28 बजे

Basant Panchami Story in Hindi

सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों तथा मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा।

इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्रकट हुई। तब एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई थी जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी।

तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।

सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।

वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से ही इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं।

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