दीपावली 2022| दिवाली कलैंडर, पूजा विधि मंत्र, लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
दीपावली का त्यौहार
दीपावली को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दीपावली सिर्फ भारत में ही नहीं परन्तु विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली की दिन दिए जलाये जाते हैं, बच्चे और बड़े पटाखे जलाते हैं, नए कपडे पहने जाते हैं और भिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं। दीपावली के दिन भगवान कुबेर,माँ लक्ष्मी तथा गणेश भगवान् की भी पूजा की जाती है।
दीपावली का इतिहास
किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है रावण के वध के पश्चात दीपावली के पावन अवसर पर ही प्रभु श्री राम, माता सीता एवं लक्ष्मण के साथ अयोध्या की पावन धरती पर वापस आये थे। अयोध्या की प्रजा ने उनके स्वागत में पालक पावड़े बिछाए थे और पूरे शहर में दीप प्रज्वल्लित किये थे। तब से ले कर आजतक दीपावली का त्यौहार हिन्दुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।
दीपावली की परम्पराएं
- दीपावली के दिन रंगोली बनाने और रंगारंग चित्रांकन करने की परंपरा है।
- ऐसा माना जाता है की दीपावली के दिन जलती हुई लकड़ियों को घर से निकालने से समस्त प्रकार के जीवाणु एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।
- दीपावली के दिन मिटटी के खिलौने एवं दीये सजाने की पुरातन परंपरा है।
- कई लोग दीपवाली के दिन ताश इत्यादि भी खेलते हैं।
- कई जगहों पर दीपावली के दिन तंत्र मंत्र भी करने की परंपरा है. छोटे बच्चों को ताबीज वगैरह पहनाये जाते हैं।
दीपावली 2022
दीपावली का त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है, सबसे महत्वपूर्ण दिन दीपावली का होता है। इन दिनों में सारे बाजार एवं घर को बेहतरीन तरीके से सजाया जाता है, रंग बिरंगी लाइटें एवं खूबसूरत झालरें भी लगायी जाती हैं। इन दिनों में बहुत सारे व्यक्ति बाज़ारों में खरीदारी के लिए जाते हैं और इसलिए बाज़ारों में काफी रौनक रहती है। इन दिनों में अलग अलग त्यौहार इस प्रकार हैं:-
- धनतेरस- वर्ष 2022 में धनतेरस इस बार 25 अक्टूबर को मनाई जा रही है। धनतेरस के दिन भगवान् कुबेर एवं माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन्वन्तरि का जन्म हुआ था।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त सांय 07:10 से सांय 08:15 तक।
प्रदोष काल का मुहूर्त – सांय 05:42 से सांय 08:15 तक।
वृषभ काल का मुहूर्त– सांय 06:51 से सांय 08:47 तक।
- नरक चतुर्दशी- वर्ष 2022 में नरक चतुर्दशी इस बार 26 अक्टूबर को मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करता है, वह नरक से बच सकता है। इस स्नान को अभ्यंग स्नान कहा जाता है और इसके उबटन में तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन को रूप चौदस, रूप चतुर्दशी एवं छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
अभ्यंग स्नान मुहूर्त
प्रातःकाल 5:15 से लेकर 06:29 तक
- दीपावली- वर्ष 2022 में दीपावली इस बार 27 अक्टूबर को मनाई जा रही है। दीपावली हिन्दुओं का सबसे पावन त्यौहार माना जाता है। दीपवले का शाब्दिक अर्थ होता है दीयों की श्रंखला और इस पर्व को प्रकाश उत्सव पर्व भी कहा जाता है। दीपावली की दिन संध्याकाल में प्रदोषकाल के शुभ मुहूर्त में माँ सरस्वती, माँ काली, माँ लक्ष्मी के साथ साथ भगवान गणेश एवं भगवान कुबेर की भी पूजा होती है।
दीपावली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
सांयकाल 06:44 से 08:14 तक
दीपावली प्रदोषकाल मुहूर्त
सांयकाल 05:40 से 08:14 तक
दीपावली वृषभकाल मुहूर्त
सांयकाल 06:44 से 08:39 तक
- गोवेर्धन पूजा- वर्ष 2022 में गोवेर्धन पूजा का दिन इस बार 28 अक्टूबर को मनाई जा रही है। दीपावली के अगले दिन गोवेर्धन पूजा का दिन होता है। इस पर्व को कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। गोवेर्धन पूजा पर अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है। इस ख़ास त्यौहार पर भगवान् कृष्ण के साथ साथ गायों एवम गोवेर्धन पर्वत की पूजा भी की जाती है। गोवेर्धन पूजा के दिन भगवान् श्री कृष्ण को 56 भोग अर्पण किया जाता है।
जाने दीपावली 2022 की कुछ खास बातें
गोवेर्धन पूजा का मुहूर्त
सांयकाल 03:25 से 05:39 तक
- भाई दूज- वर्ष 2022 में भाई दूज का त्यौहार इस बार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली के 2 दिन के पश्चात कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष में द्वितीय तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। 5 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का यह अंतिम पर्व होता है। भाई दूज के उत्सव पर बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर आरती करती हैं और वे अपने भाई के सुखद भविष्य एवम दीर्घायु की कामना करती हैं।
जाने गोवेर्धन पूजा व्रत पौराणिक कथा
भाई दूज त्यौहार का मुहूर्त
अपरान्ह 01:11 से 03:25 तक।
कैसे करे बहने इस पर्व पर पूजा
दीपावली पूजन विधि
- दीपावली के दिन मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी एवं भगवान् गणेश कि पूजा अर्चना की जाती है।
- दीपावली के दिन पूजा स्थल की साफ़ सफाई करके एक चौकी बिछाइये और गंगा जल को छिड़क दीजिये।
- भगवन गणेश, माँ लक्ष्मी की मूर्तियों या तस्वीरों के साथ साथ श्री यन्त्र एवं कुबेर यन्त्र भी स्थापित किये जाने चाहिए।
- पानी का छिड़काव करने के लिए एक ताम्बे का कलश साथ में रखिये| आप एक साधारण कलश का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- तत्पश्चात आप कलश पर रोली से एक सतिया बना कर श्री लिखें और फिर 5 गांठें मौली की बाँध दें।
- इसके बाद कलश के ऊपर आप आम के पत्तों को बाँध दें और पूजा स्थल पर माँ लक्ष्मी तथा भगवान गणेश के आगे घी, मिठाई, खील बताशे, कमल का फूल, गुड़, फूल तथा पंच मेवा इत्यादि रख दें।
- कमल का फूल माँ लक्ष्मी को सर्वाधिक प्रिय होता है इसलिए एक एक कमल का फूल माँ लक्ष्मी के दोनों और रखे जाने चाहियें।
- तत्पश्चात तेल का एक बड़ा दीपक, घी के पांच तथा तेल के पांच दीपक माँ लक्ष्मी एवं भगवान गणेश के आगे जलाएं और पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें।
- आपको भगवान कुबेर, भगवान गणेश तथा माँ लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
- आपकी संपत्ति में बढ़ोत्तरी के लिए आपको अपने रुपयों, तिजोरी, गहने इत्यादि धन सम्पदा की भी पूजा करनी चाहिए।
दीपावली पर पूरी श्रद्धा से पूजा करने से आपकी धन सम्पदा में वृद्धि होने की संभावना रहती है!!