जाने शिव जी का प्रिय निवास स्थान और पवित्र कैलाश मानसरोवर की पौराणिक मान्यता

Know Shiva's favorite abode and mythological belief of the holy Kailash Mansarovar

शिव जी का प्रिय निवास है कैलाश मानसरोवर

कैलाश पर्वत ( Kailash Parvat ) और मानसरोवर ( Mansarobar  ) को धरती का केंद्र माना जाता है, यह हिमालय के केंद्र में है । मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है । पुराणों के अनुसार यहाँ शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है । यह हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है । संस्कृत शब्द मानसरोवर, मानस तथा सरोवर को मिल कर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर।

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कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है । इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ॐ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है ।
कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड जैसा है, जिसके शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है। इसकी परिक्रमा का महत्त्व कहा गया है। कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है । सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है।

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पौराणिक मान्यता और कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है । यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहाँ प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं । हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति मानसरोवर झील की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाये स्वर्ग में पहुंच जाता है और जो व्यक्ति झील का पानी पी लेता है, उसे भगवान शिव के बनाये स्वर्ग में जाने का अधिकार मिल जाता है। रामायण की कहानियां कहती हैं कि हिमालय जैसा कोई दूसरा पर्वत नहीं है, क्योंकि यहां कैलाश और मानसरोवर स्थित हैं। पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार शिव और ब्रह्मा आदि देवगण, मरीच आदि ऋषि एवं लंकापति रावण, भस्मासुर आदि और चक्रवर्ती मांधाता ने यहाँ तप किया था। पांडवों के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त की थी । इस प्रदेश की यात्रा व्यास, भीम, कृष्ण, दत्तात्रेय आदि ने की थी। कुछ लोगों का कहना है कि आदि शंकराचार्य ने इसी के आसपास कहीं अपना शरीर त्याग किया था । हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है जो ब्राह्मंड की धुरी है । पुराणों के अनुसार इस पवित्र झील की एक परिक्रमा से एक जन्म तथा दस परिक्रमा से हज़ार जन्मों के पापों का नाश और 108 बार परिक्रमा करने से प्राणी भवबंधन से मुक्त होकर ईश्वर में समाहित हो जाता है । शिव पुराण के अनुसार कुबेर ने इसी स्थान पर कठिन तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कैलास पार्वत को अपना स्थायी निवास तथा कुबेर को अपना सखा बनने का वरदान दिया था ।

जाने मानसरोवर की उत्पत्ति के बारे में क्या है मान्यता

History Of Mansarobar 

पुराणों के अनुसार एक समय की बात है कि सनक, सनंदन, सनत कुमार व सनत सुजात ऋषि कैलास पर्वत पर शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, उसी दौरान 12 वर्षों तक वर्षा न होने के कारण सारी नदियां सूख गयी थी और इन ऋषियों को स्नान आदि करने के लिए बहुत दूर मंदाकिनी तक जाना पड़ता था । ऋषियों की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने अपने मानसिक संकल्प से पर्वत के निकट एक सरोवर का निर्माण किया और बाद में स्वयं हंसरूप में होकर इसमें प्रवेश किया था । इस प्रकार यह झील सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुआ था। इसी कारण इसे मानस मानसरोवर कहते हैं। मान्यता है कि ब्रह्ममुहुर्त (प्रात:काल 3-5बजे) में देवतागण यहां स्नान करते हैं ।

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