इस पुस्तक में निरूपित 125 सूत्र आपको ‘जीने की राह’ दिखा सकते हैं। यह शब्दों में व्यक्त विचार मात्र नहीं, बल्कि मानव जीवन के पूरे दर्शन और परंपराओं का निचोड़ प्रस्तुत करते हैं। वैसे तो किसी भी समस्या को ठीक से समझ लेना ही उसका सबसे बड़ा निदान है। जीने की राह का मतलब ही है कि हर कदम पर समस्या आएगी, लेकिन साथ में समाधान भी लाएगी। कितना ही बड़ा दुःख या परेशानी आए, जीवन रुकना नहीं चाहिए।
यह पुस्तक अपने भीतर के आत्मबल को जाग्रत् कर, सेवा, सत्य, परोपकार और अहिंसा आदि जीवन-मूल्यों को जगाने की सामर्थ्य रखती है। इसके अध्ययन से सद्प्रवृत्ति विकसित होगी, सद्विचार मुखर होंगे और हम आनंद, संतोष और सार्थक जीवन जी पाएँगे। जीवन को सरल-सहज बनाने के व्यावहारिक सूत्र बताती पठनीय पुस्तक।
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नई दृष्टि और अद्भुत वाक्-शैली के साथ धर्म व अध्यात्म पर व्याख्यान के लिए देश और दुनिया में जाने जाते हैं पं. विजयशंकर मेहता। वर्ष 2004 से अब तक 75 विषयों पर लगभग 3,000 व्याख्यान दे चुके हैं। 20 वर्ष रंगकर्म-पत्रकारिता में बिताने के बाद 12 वर्षों से आध्यात्मिक विषयों पर व्याख्यान का लोकप्रिय सिलसिला जीवन से जोड़ते हुए नई दृष्टि से श्रीमद्भागवत, श्रीरामकथा, शिवपुराण तथा हनुमत-चरित्र पर कथा कह रहे हैं। युवाओं के बीच ‘मेरा प्रबंधक मैं’ जैसे विचार के लिए लगातार आमंत्रित। ‘दैनिक भास्कर’ के ‘जीने की राह’ कॉलम के लेखक के रूप में खूब पढ़े जा रहे हैं।
प्रतिवर्ष देश के पाँच प्रमुख शहरों— रायपुर, इंदौर, जयपुर, डोंबिवली एवं राँची में श्री हनुमान चालीसा के सवा करोड़ जप के आयोजन में देश-दुनिया के लोग सहभागिता करते हैं।
94.3 माई एफएम रेडियो पर प्रतिदिन सुबह 6-7 बजे जीवन प्रबंधन के सूत्रों के साथ पंडितजी को सुना जा सकता है।
जीवन प्रबंधन समूह के पाँच उद्देश्यों को लेकर हर वर्ग के बीच जा रहे हैं—1. हनुमान चालीसा मंत्र बने, 2. हनुमानजी माताओं-बहनों के जीवन में उतरें, 3. हनुमानजी युवाओं के रोल मॉडल बनें, 4. पूजा-पाठ से पाखंड हटाना, 5. परिवार बचाओ अभियान।
इसके अलावा प विजय शंकर मेहता ने बहुत सभी किताबे लिखी :
Purushottam Parashuram ( पुरुषोत्तम परशुराम )
Jeena Sikhati hai Ramkatha ( जीना सिखाती है रामकथा )
Pitamaha Bhishma ( पितामह भीष्म )
Kamyab Hona Hi Hai ( कामयाब होना ही है )