मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और एसके कौल की पीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया गया है। यह पीठ उचित पीठ के लिए नियमित सुनवाई की तारीख तय करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि जनवरी के पहले सप्ताह में ‘उचित’ पीठ के सामने मामले को रखा जाएगा जो सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी।
अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी को सुनवाई करेगा।
मामले की आगे सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन होने की संभावना है। यह मामला अक्टूबर में सुना गया था और पीठ ने इसकी जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई पिछले आठ वर्षों से लंबित है।
वहीं इस बीच भाजपा का कहना है कि इस मामले की रोजाना के आधार पर सुनवाई होनी चाहिए।
केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने लखनऊ में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर सोमवार को कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर उच्चतम न्यायालय से अपील करते हैं कि राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो।
साथ ही उन्होंने कहा कि जब सबरीमला और समलैंगिकता के मामले में न्यायालय जल्द निर्णय दे सकता है तो राम जन्मभूमि मामला 70 साल से क्यों अटका है।
प्रसाद ने कहा कि हम बाबर की इबादत क्यों करें। बाबर की इबादत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा कि इसमें राम चंद्र जी, कृष्ण जी और अकबर का भी जिक्र है, लेकिन बाबर का जिक्र नहीं है।
यदि हिन्दुस्तान में इस तरह की बातें कर दो तो अलग तरह का बखेड़ा खड़ा कर दिया जाता है। समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एमआर शाह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति एआर मसूदी भी मौजूद थे।
संवाददाताओ को जवाब देते हुए जावड़ेकर ने सरकार पर जासूसी करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में परिपत्र में कुछ नया नहीं है और यह बात कांग्रेस के समय में ही आ चुकी है।
वहीं जावड़ेकर ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि पार्टी की इच्छा है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई हो, ताकि जल्द फैसला आ सके।