सपा नेता और रामपुर सांसद आजम खान को एक बार फिर करारा झटका लगा है इस बार आजम खान के जौहर ट्रस्ट को लीज पर दी गई 7.135 हेक्टेयर(150 बीघा लगभग) जमीन के पट्टे को रद्द करने की कार्रवाई की गई है. पट्टा रद्द किए जाने की कार्रवाई एसडीएम सदर कोर्ट से की गई है. इस के संबंध में सरकारी अधिवक्ता अजय तिवारी ने बताया कि यह जमीन शासन द्वारा मोहम्मद जौहर अली ट्रस्ट के संयुक्त सचिव नसीर खान को 24 जून 2013 को गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत पट्टे पर दी गई थी. यह पट्टा 30 साल के लिए हुआ था जबकि इस जमीन की मूल श्रेणी रेत में दर्ज थी. चूंकि रेत की जमीन का पट्टा नहीं होना चाहिए था फिर ऐसा कर दिया गया. इस संबंध में तहसीलदार द्वारा रिपोर्ट की गई. अब उपजिलाधिकारी सदर ने इस जमीन की मूल श्रेणी यानी रेत में दर्ज करने के आदेश दे दिए. जिसके चलते यह पट्टा निरस्त कर दिया गया है और जमीन को मूल श्रेणी रेत में दर्ज करने के आदेश किए गए हैं.
दरअसल उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के दौरान साल 2013 में आजम खान ने उस जमीन का लैंड यूज बदलवा दिया और सरकारी अनुदान दी जाने वाली जमीन में शामिल करा दिया था. अब सरकार बदलने से जब आजम खान के खिलाफ तमाम तरह की जांच पड़ताल शुरु हुई तो राजस्व विभाग ने इसकी भी जांच कर इसके भू उपयोग के बदलने को गैर कानूनी बताया है और कहा है कि नदी के किनारे रेत की जमीन पट्टे पर देना गैर कानूनी है. इसलिए इसका पट्टा निरस्त किया जाता है. अब अगर आजम खान को फैसले के खिलाफ किसी बड़ी जमीन से राहत नहीं मिलती है तो उनको इस जमीन से हाथ धोना पड़ जाएगा.
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के खिलाफ वक्फ और सरकार की संपत्तियों पर अतिक्रमण के आरोपों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार जांच काफी दिनों से करा रही है. साल 2017 में तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजम के खिलाफ आरोपों को लेकर संबद्ध विभाग उचित कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने पत्र में कहा, ‘हमें पूर्व मंत्री आजम खान द्वारा वक्फ और सरकार की संपत्तियों पर अतिक्रमण तथा सरकारी धन के दुरूपयोग के आरोपों को लेकर आपका पत्र मिला है. संबद्ध विभाग इस सिलसिले में उचित कार्रवाई कर रहे हैं’. इससे पहले रामपुर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता फैसल खान लाला ने आजम पर आरोप लगाए हैं. लाला ने राज्यपाल को भेजे पत्र में 14 आरोप लगाए, जिनमें से एक आरोप ये भी है कि आजम ने रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर भूमि अतिक्रमण करने के मकसद से निर्दोष लोगों को अवैध रूप से विस्थापित कर दिया.