आधा दर्जन शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के में अपील दाखिल कर सहायक अध्यापक भर्ती 2019 की परीक्षा में बैठने देने का आदेश सरकार को देने की मांग की है।
जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति एआर मसूदी की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी की तिथि तय की है।
शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनाए गए और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्र बना दिए गए।
दरअसल उक्त अपील दाखिल कर कहा गया है कि 6 मार्च के आदेश में एकल पीठ ने टीईटी 2017 के परीक्षा के सम्बंध में 14 प्रश्नों को हटाकर पुनर्मूल्यांकन के आदेश दिए थे।
बाद में सरकार की विशेष अपील पर उक्त आदेश को दो सदस्यीय खंडपीठ ने निरस्त कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्यीय खंडपीठ के आदेश को इस आधार पर खारिज कर दिया कि एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं दाखिल करने वाले सभी याचियों को सरकार की विशेष अपील में पक्षकार नहीं बनाया गया था।
शीर्ष अदालत ने दो सदस्यीय पीठ को मामले को पुनः सुनने को कहा था। परंतु राज्य ने अब तक उक्त विशेष अपील में याचियों को न तो पक्षकार बनाया और न ही एकल पीठ के आदेश को स्थगित करने के सम्बंध में प्रार्थना की।
न्यायालय ने उक्त तारीख पर राज्य सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है कि क्या वह एकल पीठ द्वारा 6 मार्च 2018 को दिए निर्णय के अनुसार अपीलार्थियों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन करवा के, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दे सकती है।
न्यायालय ने इस लापरवाही पर सरकार की काफी खिंचाई भी की।