बुलंदशहर हिंसा में पहले उंगली काटी, फिर कुल्हाड़ी से वार किया और तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मारी गोली

बुलंदशहर हिंसा में पहले उंगली काटी, फिर कुल्हाड़ी से वार किया और तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मारी गोलीबुलंदशहर हिंसा में पहले उंगली काटी, फिर कुल्हाड़ी से वार किया और तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मारी गोली

बुलंदशहर हिंसा में पहले उंगली काटी, फिर कुल्हाड़ी से वार किया और तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मारी गोली

लखनऊ: बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई। 25 दिन बाद मुख्य आरोपी प्रशांत नट को पुलिस ने गिरप्तार किया है। पुलिस की पूछताछ में प्रशांत ने ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले खुलासे किए जो हैरान करने वाले हैं। प्रशांत नट ने सुबोध कुमार सिंह पर गोली चलाई थी, इस बात को उसने स्वीकार किया है।

बुंलदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या को लेकर दिल दहला देनी वाली बातें सामने आई हैं। गौकशी के बाद इंस्पेकटर सुबोध कुमार हिंसक भीड़ को समझा रहे थे, तभी कलुआ नाम के एक शख़्स ने इंसपेक्टर पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस वार से इंसपेक्टर सुबोध कुमार की उंगली कट गई। फिर कलुआ ने लगातार कुल्हाड़ी से वार करता रहा जिससे सुबोध कुमार का सर फ़ट गया। सुबोध कुमार जान बचाने के लिए खेत की तरफ़ भागे, लेकिन प्रशांत नट और उसके साथियों ने सुबोध कुमार को पकड़ लिया।

सुबोध कुमार ने अपनी आत्मरक्षा में गोली चलाई। जिसमें सुमित नाम के एक लड़के को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। प्रशांत नट और उसके साथियों ने सुबोध की लाइसेंसी रिवाल्वर छीन ली। जॉनी नाम के एक शख़्स ने सुबोध कुमार को पकड़ कर घुटनों के बल बैठा दिया, और प्रशांत नट ने सुबोध कुमार की ही लाइसेंसी रिवाल्वर से सुबोध कुमार को गोली मार दी। सुबोध कुमार के मृत शरीर पर भी इन लोगों ने लाठियों और पत्थर से वार किया।

जब पुलिस वाले पथराव के बीच सुबोध कुमार के शरीर को गाड़ी में डाल कर ले जाने लगे तो भीड़ ने गाड़ी पर ही पथराव किया। जिसके बाद पुलिस वाले सुबोध कुमार को छोड़ कर भाग गए। गाड़ी को उपद्रवियों ने अपने कब्ज़े में ले कर सुबोध कुमार को गाड़ी सहित जलाने की कोशिश की, लेकिन किसी तरह पुलिस वालों ने सुबोध कुमार को जलने से बचाया।

वहीं, बुलंदशहर में गोकशी के मुद्दे पर भड़की हिंसा में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के घरवालों, पत्नी और बेटे ने कहा कि क़ातिल खुलेआम घूम रहा है क्योंकि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।

 

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Vinay Kumar: