इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों की रिटायरमेंट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट का यह फैसला कर्मचारियों के लिए एक तरह से झटका है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2001 में जारी अधिसूचना को अमान्य करार दिया है। और रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से घटाकर 58 साल निर्धारित कर दिया है। यूपी में ज्यादातर कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतनमान पा रहे हैं।
कोर्ट से अपने फैसले में कहा कि सरकार ने जिस अधिसूचना के तहत रिटायरमेंट की उम्र को 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दिया था, वह पूरी तरह गलत है।
कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत नियम बनाने की राज्यपाल की शक्ति के तहत अधिसूचना जारी कर नियम 56 में संशोधन कर सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि कानून की नजर में नियम 56 में संशोधन नहीं हुआ है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति इफकत अली खान की खंडपीठ ने दिया।
हाईकोर्ट ने भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सहायक आर्किटेक्ट ओम प्रकाश तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला दिया।
ओम प्रकाश तिवारी ने रिटायरमेंट के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयुसीमा 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है, लेकिन उन्हें 58 साल में ही रिटायरमेंट दे दिया गया, इसलिए उनका रिटायरमेंट रद्द किया जाए और 60 वर्ष की उम्र में ही रिटायरमेंट दिया जाए।
हालांकि इसी सा केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने यूपी सरकार को खत लिखकर अपने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल करने की सिफारिश की थी। लेकिन अब हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के रिटायरमेंट आयु 60 साल से घटाकर 58 साल पर मुहर लगा दी है।