लखनऊ: चुनावी साल में जंहा गन्ना मूल्य वृद्धि का लाभ किसानो को देने की बात होती है तो वंही सरकार बनाने के बाद किसानों को करारा झटका दे देती है सरकार । जीहाँ उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की है। पेराई सत्र 2016-17 में अखिलेश सरकार ने गन्ना मूल्य में वृद्धि करके 305 रुपये प्रति कुंतल रखा था। और पेराई सत्र 2017-18 की तरह इस बार भी अगेती प्रजाति के लिए 325, सामान्य प्रजाति के लिए 315 और अस्वीकृत प्रजाति के लिए 310 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य भाजपा सरकार ने किया था। लेकिन इस सत्र में पेराई सीजन प्रारंभ हुए एक माह बीत जाने के बावजूद प्रदेश की योगी सरकार गन्ने का परामर्शी मूल्य घोषित नहीं कर पाई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजस्थान में चुनावी सभाओं में व्यवस्तता के चलते मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक नहीं हो पाई।
लिहाजा, राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य पेराई सीजन 2018-19 में भी किसानों को वहीं गन्ना मूल्य मिलेगा जो सत्र 2017-18 में मिला था। पिछले साल राज्य सरकार गन्ना मूल्य में 3.30 फीसदी बढ़ाया था।
तब तीनों श्रेणी के गन्ना मूल्य में 10 रुपये की वृद्धि करते हुए 310,315, व 325 रुपये क्विंटल रेट घोषित किया गया था। बिजली, खाद, डीजल व कीटनाशकों के दामों में हुई वृद्धि के चलते 35 लाख से ज्यादा गन्ना किसानों को रेट में वृद्धि होने कि उम्मीद थी।
लेकिन कैबिनेट के फैसले से उन्हें झटका लगा है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी की बैठक में किसानों ने लागत से डेढ़ गन्ना मूल्य देने की मांग की थी। सूत्रों के मुताबिक शाहजहांपुर गन्ना शोध परिषद ने गन्ने की लागत 290 रुपये प्रति क्विंटल आंकी है।