बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी के शक में हिंसा ऐसी भड़की तीन गांवों की भीड़ जान लेने पर उतारू हो गई। गोकशी के शक के बाद भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक आम नागरिक की मौत हो गई। इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने पुलिस चौकी फूंक दी और दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह के बेटे अभिषेक ने कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं जो धर्म के नाम पर समाज में हिंसा को नहीं उकसाता हो। आज मेरे पिता ने इस हिंदू-मुस्लिम विवाद में अपना जीवन खो दिया।
दरअसल, बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत गोली लगने से हुई है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के अनुसार सुबोध सिंह को बांयी आंख की भौं के पास गोली लगी। यह गोली .32 की थी। उपद्रवी सुबोध कुमार सिंह की सरकारी पिस्टल भी लूटकर ले गए।
बुलंदशहर हिंसा में तनाव के मद्देनजर जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच एडीजी इंटेलीजेंस को सौंपी है जो 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट देंगे। इसके साथ ही मेरठ रेंज के महानिरीक्षक की अध्यक्षता में एक एसआईटी का भी गठन किया है। मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले पर दुख व्यक्त किया है। इस घटना में शहीद हुए पुलिस इंस्पेक्टर के परिजन को कुल 50 लाख रूपये की सहायता का ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने दो दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश भी दिया है। उन्होंने शहीद पुलिस अफसर की पत्नी को 40 लाख रूपए और उनके माता-पिता को 10 लाख रूपये की सहायता की घोषणा की।