जयपुर: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अलवर के मालाखेड़ा में हुई चुनावी सभा में हनुमानजी को दलित बताया था। जिस वजह से बुधवार को राजनीति गरमा गई। राजधानी के संत-महंतों ने भी योगी के इस बयान को गलत बताया। संत-महंतों सभी ने हनुमानजी के दलित व वंचित होने से इनकार कर दिया। सबका कहना है कि हनुमानजी ब्राह्मण थे। उनको क्षत्रिय की उपाधि मिली हुई थी।
बुधवार को योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर कांग्रेस के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। तो वही हनुमान जी पर विवादित बयान करने वाले योगी आदित्यनाथ को सर्व ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने लीगल नोटिस भेजकर तीन दिन में माफी मांगने को कहा है।
मंदिरों के महंतों ने कहा- हनुमानजी का कोई वर्ण या वर्ग नहीं
स्वामी अवधेशाचार्य ने बताया कि हनुमानजी के बारे में हमने जितना देखा, पढ़ा और सुना है, आज तक उसमें हनुमानजी का कहीं कोई वर्ण या वर्ग जैसी व्यवस्था नहीं देखी। भगवानों को किसी वर्ग, वर्ण आदि में बांटना अनुचित है।
महंत राधेश्याम तिवाड़ी ने कहा कि हनुमानजी दलित नहीं थे। हनुमान बाहुक में उल्लेख है उन्हें राजपूत की उपाधि मिली थी। वे वंचित भी नहीं थे। हनुमानजी केसरी नंदन हैं। केसरी यानी राजा।
महंत मनोहरदास महाराज ने कहा कि शास्त्रों में कहीं बजरंगबली के दलित होने का उल्लेख नहीं मिलता। हनुमानजी वानर जाति के हैं, दलित नहीं। योगी ने अनजाने में या चुनावी माहौल में ऐसा कहा।
योगी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब आलोचना हो रही है। ट्विटर, फेसबुक पर कई तरह के मैसेज बनाए जा रहे हैं। बता दें कि इससे पहले शहरों के नामों को लेकर भी योगी आदित्यनाथ विवादों में थे