लखनऊ: गाजीपुर कांड में मारे गए पुलिस कॉन्स्टेबल का शव जब प्रतापगढ़ के रानीगंज थाना से लच्छीपुर गांव पहुंचा। बुलंदशहर के बाद गाजीपुर में पुलिसकर्मी की पीट-पीट कर हत्या करने की घटना पर अब सियासत गर्म है। विपक्ष इस मसले पर बीजेपी को घेरने में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में एक बार फिर पुलिस भीड़ के निशाने पर आई है। गाजीपुर में प्रधानमंत्री की रैली के बाद भीड़ ने हेड कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप वत्स को पीट-पीट कर मार डाला। प्रधानमंत्री की रैली के बाद गाजीपुर में भीड़ ने ऐसा बवाल मचाया तो शोर लखनऊ से दिल्ली तक जा पहुंची। आज संसद में यूपी के घटनाओ की गूंज सुनाई देगी।
गाजीपुर में मरे गए हेड कांस्टेबल सुरेश प्रताप वत्स की पत्नी प्रशासन से बेहद नाराज हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत तड़प रही हूं। मैं इतना तड़प रही हूं कि मैं अभी तक अपने पति का चेहरा नहीं देख पाई। झूठ पर झूठ, धोखे पर धोखा, हम सब परेशान हो गए हैं। हम टूट गए हैं, लेकिन अब हम खड़े होंगे तो अपने बच्चों के लिए खड़े होंगे।’
वंही सुरेश प्रताप के बेटे विनीत कुमार ने कहा कि उस दिन मम्मी से पिता जी की 4 बजे बात हुई थी और बहन से कह रहे थे कि 2 दिन बाद छुट्टी लेकर घर आएंगे। अब घर कैसे आएंगे? यहां के मुख्यमंत्री का सोचना है कि आदमी को मुआवजा मिल देदेंगे, शहीद का दर्जा दे देंगे, इससे क्या होगा? लोग पुलिस फोर्स क्या मरने के लिए ज्वाइन करते है? पुलिस वाले अगर अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रहे है तो दूसरों की सुरक्षा क्या करेंगे? मैं अपने पिता की जगह नहीं जाना चाहता। मई अकेला हूँ, हमारी दो बहने हैं, मां हैं और पिता जी तो रहे नहीं। अगर हमको भी कुछ हो जाएगा तो इनको कौन देखेगा, क्या मुख्यमंत्री इनकी जिम्मेदारी लेंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी सरकार ने कानून व्यवस्था को खराब कर दिया है। गाजीपुर में हुए विवाद को प्रशासन चाहता तो रोक सकता था। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम था, वहां पर इतनी सुरक्षा होने के बावजूद ऐसा हादसा हुआ। जहां योगी जी कहते है ठोक दो.. तो कभी पुलिस को समझ नहीं आता कि किसको ठोके और कभी जनता को नहीं समझ आ रहा है कि किसे ठोके। दोनों कन्फ्यूज हैं। ट्रांस्फर से बचने के लिए पुलिस अधिकारी एन्कांउटर कर रहे हैं। प्रदेश में आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो गई है।