भारत के इतिहास में कई ऐसे समाजसुधारक और राजनेता है जिन्होंने भारत के पिछणे और दलित समाज के हित में आवाज़ उठाई | इन्ही में से एक समाज सुधारक और दलितों के उद्धार करने वाले महान व्यक्ति थे काशीराम ( Kaashiram ) जी|
काशीराम जी बहुत उच्च विचार के व्यक्ति थे इन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों और भारत के अलपसमाज के हित के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया| बहुत लोग काशीराम जी को उच्च कोटि के समाज सुधारक के रूप में भी जानते हैं| आज हम आपको मान्यवर काशीराम जी के बारे में जानकारी देंगे|
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काशीराम जी का जन्म १५ मार्च १९३४ को पंजाब के रोपुर जिले के ख्वासपुर गांव में हुआ था| वे एक दलित परिवार से थे | उस समय भारत वर्ष में दलित समाज को बहुत ही घृणा से देखा जाता था और उनके साथ बहुत अत्याचार होता किया जाता था| काशीराम जी के पिता शिक्षित तो नहीं थे परन्तु वे अपने बच्चो को पूर्ण रूप से शिक्षित करना चाहते थे| काशीराम जी के 2 भाई और चार बहने थी| वे अपने भाई और बहनो से सबसे बड़े और सबसे ज्यादा शिक्षित थे| काशीराम जी बी.एस.सी की थी| इसके बाद वे संन १९५८ में काशी में रक्षा उत्पादक विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हो गए|
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काशीराम जी को दलित समाज के प्रति अत्याचार बिलकुल पसंद नहीं था| काशीराम जी ने 1965 में डा.बी.आर.आंबेडकर के जन्मदिन के अवकास को रद्द करने के कारण विरोध किया था| काशीराम जी आंबेडकर जी के जीवन से बहुत प्रभावित थे| इसके परिणाम स्वरुप काशीराम जी अपनी नौकरी का त्याग करके पीड़ित दलित समाज के हित में आवाज़ उठाने के मन बना लिया| काशीराम जी ने अम्बेडकर जी के कार्यो का पूर्ण रूप से अध्यन किया साथ ही भारत में जातिवाद के बारे में भी रिसर्च कीया | काशीराम जी अपना पूरा जीवन दलित समाज के हित में व्यतीत करने फैसला लिया| उन्होंने अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति और अल्पजाति के कल्याण के लिए एक संस्था का निर्माण किया जिसका नाम “बेकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीस एम्प्लोई फेडरेशन” रखा था| इस संस्था का पहला कार्यालय दिल्ली में १९७६ से प्रारंभ हुआ|
काशीराम जी ने अपने पूरे जीवन काल में दलित और पिछड़े जाति के लिए कई आंदोलन और पद यात्रा की और १९८० में अम्बेडकर मेला नाम से पदयात्रा का आरम्भ किया| १९८४ में काशीराम जी ने भारत समाज के सारी कुरीतिक प्रथा और जातिवादिक परंपरा का विरोध करने के लिए “BAMCEF” नाम से एक समिति का गठन किया। काशीराम जी ने भारत सरकार का विरोध करने के लिए १९८४ में एक राजनैतिक पार्टी का गठन किया जिसका नाम दिया “बहुजन समाज पार्टी”। जिस पार्टी का नेतृत्व आज के समय में कुमारी मायावती कर कही हैं| १९९४ में उन्हें दिल का दौरा और २००३ में दिमाग का दौरा पड़ा जिसके कारण उनकी सेहत खराब हो गई और ९ अक्टूबर २००६ में दिल का दौरा पड़ने से काशीराम जी की मृत्यु हो गई|