यूपी और बिहार में औसत से कम वोटिंग चौका रही है। अगर यूपी में सपा, बसपा गठबंधन और बिहार में राजद, कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी दल का महागठबंधन इतना मजबूत है और सभी समीकरण महागठबंधन के पक्ष में हैं तो लोग निकले क्यों नहीं वोट करने ? आमतौर पर ये माना जाता है कि खिलाफत में वोट करते हुए वोट खूब मात्रा में होता है, मगर ऐसा हुआ नहीं। इसका फायदा एनडीए को होगा या गठबंधन को ये 23 मई को पता चलेगा।
वैसे ये कमोबेश तय है कि पश्चिम उत्तरप्रदेश के हुए चुनाव में भाजपा के केंद्रीय मंत्री बागपत से सत्यपाल सिंह चुनाव हारते हुए नज़र आ रहे हैं। यहाँ से रालोद के जयंत चौधरी आराम से जीत रहे हैं। मुजफ्फरनगर से केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान और गौतमबुद्ध नगर से केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा फंस गए हैं। केवल एक केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह गाज़ियाबाद से आराम से जीत रहे हैं।
वैसे ही बिहार में गया में जीतनराम मांझी को जेडीयू के विजय मांझी ने कुर्मी कोइरी वोटों के सहारे बुरी तरह घेर लिया है। नवादा में राजद के राजबल्लभ यादव बलात्कार केस में जेल में हैं सो उनकी पत्नी विभा देवी को वोटरों ने नकार दिया है वहां से सूरजभान सिंह के भाई एनडीए प्रत्याशी चंदन सिंह ठीक स्थिति में है। जमुई में चिराग पासवान का चिराग इस बार लगता है बुझ जायेगा। एनडीए उम्मीदवार भूदेव चौधरी को जमकर वोट पड़ा है। फंस गए हैं। अनुग्रह नारायण सिंह से लेकर आजतक चार दशक से औरंगाबाद से राजपूत लोकसभा चुनाव जीतते आये हैं। इसबार पहली दफा वहाँ एंटी राजपूत ध्रुवीकरण जमकर हुआ। इससे लगता है हम के उपेंद्र प्रसाद जीत दर्ज करेंगे। ऐसा हुआ तो ये ऐतिहासिक होगा। इसकी संभावना ज्यादा है।