जैसा आप जानते है की हाल ही में हुए 3 राज्यों के चुनाव में जो बीजेपी की करारी हार हुई है इसका नतीजा कल बिहार में भी देखने को मिला है। अब तक फ्रॉंट फुट पे खेलने वाली बीजेपी अब बैक फुट पे खेल रहे रही है जितका परिणाम कल बीजेपी के डील में देखने को मिला । बीजेपी की स्थिति ऐसी हो गई की जिसका जबरदस्त फायदा नीतीश कुमार और रामविलास पासवान ने उठाया है।
जैसा की हम आप को बता दे की बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में तालमेल हो गया है और निश्चित रूप से इस बात में संदेह नहीं कि इसमें सबसे ज़्यादा फ़ायदा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को रहा है। इन दोनों को साथ रखने के लिए भाजपा ने सीटों और सांसदों दोनो की गठबंधन धर्म निभाने के लिए क़ुर्बानी दी। सबसे ज़्यादा फ़ायदे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिखते हैं जिनकी पार्टी जेडीयू लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें जीती थीं लेकिन इस बार बाद सत्रह सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
आप इसे नीतीश की राजनीतिक हैसियत कहें या वर्तमान परिस्थिति में भाजपा को उस ज़मीनी हक़ीक़त का अहसास। भाजपा ने नीतीश की सिर्फ इसी इच्छा को नहीं माना, बल्कि पहले जीतन राम माँझी को और बाद में उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इतना ही नहीं लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलाश पासवान ने भी जबरजस्त डील की जिसमे उन्हें 6 लोकसभा सीट और अपने लिए राज्यसभा की सीट फाइनल करा लिया है। इस प्रकार रामविलाश पासवान को जो चाहिए था वो मिल गया है।
हम आप को बता दे की बिहार 40 लोकसभा सीट में 17-17 पे बीजेपी और जेडीयू चुनाव लड़ेगी। बाकि 6 सीटों पे लोक जनशक्ति पार्टी चुनाव लड़ेगी।