प्रॉपर्टी खरीदते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

जैसा की आप सभी जानते है की किसी भी व्यक्ति के लिए प्रॉपर्टी खरीदना उसके जीवन का कितना महत्वपूर्ण काम होता है। वो अपनी सारी जमा पूंजी, भारी कर्ज और बड़े अरमानों से प्रॉपर्टी खरीदाने का फैसला करते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके।

मोल तोल और सेल डीड ( Bargain and sale deed )

हम आप को बता दे की ये वह क़ानूनी दस्तावेज है जिससे ये पता चलता है की प्रॉपर्टी का मालिकाना हक़ किसके पास है। यह इस बात का भी सबूत है कि प्रॉपर्टी पुराने मालिक से मौजूदा विक्रेता को ट्रांसफर की गयी है या नहीं ।  प्रॉपर्टी का टाइटल क्लियर होने के साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि सेल डीड स्थानीय रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्टर्ड हो।  एक वकील से बात करने पर उन्होंने कहा की ‘सबसे पहले यह चेक करें कि जो प्रॉपर्टी आप खरीद रहे हैं उसका टाइटल डीड क्लियर हो।’ इसका मतलब यह है कि उस प्रॉपर्टी पर कोई विवाद ना हो और ना ही कोई केस हो।

इतना ही नहीं वकील ने ये भी कहा की आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो व्यक्ति आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है, टाइटल डीड उसी के नाम से हो। सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप किसी वकील से ही प्रॉपर्टी डीड को वेरीफाय करायें, इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कागज सही हैं और उनमें कोई कमी नहीं है। ‘

Building Plan Approval ( बिल्डिंग प्लान अप्रूवल )

यदि आप किसी बिल्डिंग में फ्लैट खरीद की प्लान कर रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर ले कि बिल्डर ने बिल्डिंग प्लान संबंधित अथॉरिटी से मंजूर जरूर कराया हो। यह संबंधित अथॉरिटी के कमिश्नर या उनके द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी से अप्रूव कराया जाना चाहिए।  इससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि बिल्डर ने मकान क़ानूनी तरीके से बनाया है या नहीं। अब आप बिल्डर की बिल्डिंग का अप्रूवल ऑनलाइन भी चेक कर सके है और जो लोग बिल्डिंग बना रहे है वो  Online Building Plan Approval System के जरिये अपना अप्रूवल भी ले सकते है।

लोन सर्टिफिकेट (Loan Certificate)

हम आप बता दे की लोन सर्टिफिकेट हमें यह सुनिश्चित करता है कि जो प्रॉपर्टी हम लेने जा रहे  है उस प्रॉपर्टी पर कोई लोन या अन्य देनदारी तो नहीं है। इसका मतलब यह है कि आप जिस समय प्रॉपर्टी खरीद रहे हों, उस समय वह हर तरह के कर्ज या देनदारी से मुक्त हो। सब रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा जारी यह सर्टिफिकेट बताता है कि प्रॉपर्टी से संबंधित किस तरह का ट्रांजेक्शन किया गया है और इस समय उसकी वास्तविक हालत क्या है।  वकील से बात करने पर उन्होंने कहा, ‘दूसरे शब्दों में यह सर्टिफिकेट किसी मोर्गेज , टाइटल ट्रांसफर या क़ानूनी रूप से रजिस्टर्ड ट्रांजेक्शन का सबूत है जिससे प्रॉपर्टी पर कोई सवाल ना उठे। ‘

कंप्लीशन सर्टिफिकेट (completion certificate)

हम आप को बता दे की स्थानीय निकाय द्वारा जारी कंप्लीशन सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है जो प्रॉपर्टी हम ले रहे है उस प्रॉपर्टी का निर्माण उसके दिशा निर्देशों के हिसाब से ही हुआ है की नहीं ।  यह पानी, बिजली, सीवर जैसी बेसिक जरूरतों के हिसाब से बहुत जरूरी सर्टिफिकेट है।  अगर यह नहीं मिला तो प्रॉपर्टी में बेसिक सुविधा जुटाना मुश्किल हो सकता है।

ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (occupancy certificate)

कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने के बाद स्थानीय निकाय (नगर निगम या अथॉरिटी) ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है।  यह सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि संबंधित प्रॉपर्टी रहने के लिहाज से उपलब्ध है और उसका निर्माण सभी नियम-कानूनों का पालन करते हुए किया गया है।   यह संकेत देता है कि प्रॉपर्टी क़ानूनी तौर पर वैध है और रहने के लिए उपयुक्त है। किसी प्रॉपर्टी की खरीदारी के हिसाब से यह सबसे जरूरी दस्तावेज है।

पावर ऑफ एटॉर्नी ( Power Of Attorney )

हम आप को बता दे की यह एक क़ानूनी दस्तावेज है जिसकी मदद से कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रॉपर्टी की देखभाल, किराये पर उठाने या बेचने के लिए अधिकृत करता है।  इस दस्तावेज का भी हालांकि रजिस्ट्रेशन कराया जाना जरूरी है।  स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज बचाने के लिए कई बार लोग पावर ऑफ एटॉर्नी के जरिये प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं।  इससे सरकार को राजस्व की बड़ी हानि होती है और मुकदमे के अधिक मामलों का सामना करना होता है।  इसमें एक ही प्रॉपर्टी को कई लोगों के हाथ बेच दिया जाता है।  इसके सावधानी से जांच करने की जरूरत है।

अगर आप उत्तर प्रदेश में अपनी प्रॉपर्टी खरीद रहे है तो आप जमीं के खसरा नम्बर से आप उस जमीन की सारी जानकारी प्राप्त कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को जरूर पढ़े Bhulekh: UP Bhulekh Khasra Khatauni 

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Vinay Kumar:

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