केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समाज के लोगो को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का बड़ा फैसला किया है। बड़े समय से नाराज चल रहे सवर्णों लुभाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस बड़े फैसले की घोसणा की है। हम आप को बता दें, सवर्ण और मध्यम वर्ग का बड़ा धड़ा भाजपा से नाराज चल रहा था और भाजपा ने इस फैसले के जरिए इसी धड़े को लुभाने की कोशिश की है।
मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने कहा गया की सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा और यह आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अलग होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके लिए सरकार संविधान संशोधन बिल लेकर आएगी। बताया जा रहा है की संसद में संविधान संशोधन बिल मंगलवार को आ सकता है।
बता दें कि इसमें उन लोगों को शामिल किया जाएगा जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो , 5 एकड़ तक ज़मीन हो ,रहने का मकान 1,000 स्क्वायर फीट से कम हो , रिहायशी प्लॉट अगर शहरी श्रेत्र में आता है तो वह 100 यार्ड से कम हो , रिहायशी प्लॉट शहरी क्षेत्र के बाहर हो तो यह 200 यार्ड से कम होना चाहिए।
हम आप को बता दें कि 16 नवंबर, 1992- को सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (AIR 1993 SC 477) में अपना फैसला सुनाया। जिसमें माना गया कि अनुच्छेद 16 (4) के तहत कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।