24 जनवरी को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई। जन सभा को सम्बोधित करते हुए तेजस्वी यादव कहा की हमारे पिता और कर्पूरी ठाकुर का आपस में क्या रिश्ता था वो आप सभी भली भाँति जानते है। आज नौबत ये आ गयी है की जो लोग कर्पूरी ठाकुर को भद्दी भद्दी गलियाँ दिया करते थे वो लोग आज उछल – उछल कर जयंती मनाने का काम कर रहे है। उनको सर्म आणि चाहिए। उन्होंने कहा की कर्पूरी जी नायको के भी नायक थे इस लिए उन्हें जननायक कहा जाता है। उन्ही के विचार धारा को लालू जी लेकर आगे बढ़ने का काम किये है ।
इतना ही नहीं तेजस्वी ने दलित-आदिवासी, पिछड़ों व अति पिछड़ों की आरक्षण सीमा बढ़ाने व जातीय जगनणना कराने की मांग की और कहा कि कार्यकर्ता सभी दलों के सांसदों से संसद में आरक्षण पर चुप रहने को लेकर सवाल पूछें। उन्होंने कहा कि वह गरीब सवर्णों के आरक्षण के विरोधी नहीं हैं बल्कि वो सिर्फ अपना अधिकार मांग रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जो प्रक्रिया अपनायी गयी है वह अमीर सवर्णों को आरक्षण देने वाली है। जनता से सवाल पूछते हुए कहा की 66 हजार 600 रुपए मासिक आमदनी वाला क्या गरीब हो सकता है, अगर हां तो भूमिहीन सवर्ण को क्या मिलेगा। उन्होंने कर्पूरी व लालू के सपनों को पूरा करने के लिए एकजुट होने की अपील की और कहा कि गोली भी खानी पड़ी तो खाएंगे लेकिन पिछडो और दबे – कुचले लोगो का साथ नहीं छोड़ेंगे।
तेजश्वी ने कहा की 2014 के लोकसभा चुनाव में मोहन भागवत ने कहा था की “आर्थिक रूप से आरक्षण दे देना चाहिए और फिर धिरे – धिरे इसे समाप्त कर देना चाहिए” जिसकी शुरआत हो चुकी है। उस समय मेरे पिता लालू प्रसाद यादव ने इसका जमकर विरोध किया और कहा की मेरे जीतेजी कोइ आरक्षण को हिला भी नहीं सकता। यही कारण है की आज लालू जी को जेल भेजा गया और उन्हें
निकलने नहीं दिया जा रहा है।