मोदी सरकार में CBI ने जितनी अपनी विस्वनियता खोई है उतना वो किसी के सरकार न खोई। हम आप को बता दे की मौजूदा सरकार में हो CBI की बहुत ही बुरा हाल है। दरअसल बात ये है की इस बार सुप्रीम कोर्ट ने CBI अफसर नागेश्वर राव को दोषी माना है और 1 लाख का जुर्माना भी लगाया। इतना ही नहीं जब तक कोर्ट का समय समाप्त न हो जाये तब तक कोर्ट के अन्दर कोने में बैठने की सजा दी। यह सजा कोर्ट की अवमानना करने के लिए दी गयी थी ।
हम आप को बता दे की सुप्रीम कोर्ट का आदेश था की मुजफ्फरपुर सेल्टर होम मामले की जाँच में कोर्ट की अनुमति के बिना जाँच टीम के किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जायेगा। लेकिन कोर्ट के आदेश के बौजुद नागेश्वर राव ने जाँच अधिकारियो का ट्रान्सफर किया। राव के इस हरकत पे सुप्रीम कोर्ट भड़क गयी और कोर्ट की अवमानना का दोषी पाते हुए सजा सूना दिया की जब तक कोर्ट का समय समाप्त न हो जाये तब तक कोर्ट के अन्दर कोने में बैठने की सजा दी और 1 लाख का जुर्माना भी लगाया।
नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना किसी सर्त के माफ़ी मांगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना। राव के बचाव में सरकारी वकील ने बहुत साडी दलीले पेश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने तर्क अंदाज में कहा की ” आप अवमानना के आरोपी का बचाव सरकारी पैसे से क्यों कर रहे है ? नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों का पता था तभी उन्होंने क़ानूनी विभाग से राय मांगी और लिगेल अद्विसेर ने कहा था की आर के शर्मा का ट्रान्सफर करने से पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इजाजत मांगी जाय लेकिन येसा क्यों नहीं किया गया। संतुस्ट हुए बगैर और कोर्ट से पूछे बगैर अधिकारी का रिलीफ आडर साइन करना कोर्ट की अवमानना नहीं तो क्या है ? नागेश्वर राव ने आर के शर्मा को जाँच से हटाने के फैसला लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताना तक जरुरी नहीं समझी। ”