यूपी पॉवर कारपोरेशन ने एक बार फिर किसानों को बिजली कटौती से परेशानी में डाल दिया है। ग्रामीण फीडरों से अलग करने के बाद किसानों के नलकूपों को मात्र 10 घंटे बिजली दी जा रही है। पहले ग्रामीण फीडर पर यह 18 घंटे मिलती थी। इसे लेकर विरोध होने लगा है। बिजली कम्पनियों ने खेती-किसानी के लिए किसानों के ट्यूबवेल को अलग फीडर बनाकर उसकी आपूर्ति को सीमित कर दिया है। फीडर अलग करने के बाद किसानों को केवल 10 घण्टे बिजली देना तय हुआ है, जबकि अभी तक यह सभी ग्रामीण फीडर पर 18 घंटे बिजली पा रहे थे।
इतना ही नहीं किसानों की शिकायत यह है कि पावर कारपोरेशन ने जब बिजली आपूर्ति आठ घंटे घटा दी तो उनकी बिजली दरों में भी कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। हालांकि पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव दिया है उसके अनुसार अनमीटर्ड किसान 150 रुपये प्रति हार्स पावर ट्यूबवेल पर चार्ज देते हैं उसे अब बढ़ाकर 170 रुपये प्रति हार्स पावर प्रतिमाह प्रस्तावित कर दिया गया। केवल किसानों ही नहीं, इसी प्रकार ग्रामीण घरेलू अनमीटर्ड बिजली उपभोक्ताओं को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति के नाम पर उनकी दरें वर्ष 2017-18 में 400 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह लागू की गयी और अब उसमें 25 प्रतिशत बढ़ोतरी कर उसे 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह प्रस्तावित किया गया है।
जबकि गांवों को आज भी केवल 18 घण्टे विद्युत आपूर्ति का शेड्यल है और बिजली 10-12 घंटे ही मिल रही है। विद्युत नियामक आयोग में प्रस्तावित बिजली टैरिफ की इसी समस्या को लेकर पूरे प्रदेश के ग्रामीण व किसान आन्दोलित हैं।उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा कहते हैं कि पूरे प्रदेश में कृषि कार्य के लिए लगभग 1809 फीडरों को अलग करना है। जिसमें अब तक लगभग 1500 किसानों के फीडर ग्रामीण फीडरों से अलग कर दिए गए हैं। किसानों की बहुत बड़ी समस्या यह भी है कि उनके ट्यूबवेल बरसात में बंद रहते हैं। ऐसे में उनकी एक मांग है कि उन्हें सीजनल टैरिफ में डाला जाए और बरसात के चार महीने उनसे कोई भी चार्ज न लिया जाए।