पटना: उपेन्द्र कुशवाहा ने आख़िरकार केंद्रीय मंत्रिमंडल और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पिछले कुछ महीनों से उनके बारे में लगाये जा रहे इस्तीफे की अटकलों पर अब विराम लगा गया है। लोकसभा सत्र के एक दिन पहले और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम का इंतज़ार किए बिना इस्तीफ़ा देकर इस बात का संकेत दिया है कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद बिहार के विधानसभा चुनावों में वो अब एनडीए के साथ नहीं है।
कुशवाहा ने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं जबरदस्त आशा और उम्मीदों के साथ आपके नेतृत्व में एनडीए का साथ पकड़ा था। 2014 को लोकसभा चुनाव में आपने बिहार के लोगों से जो भी वादे किए थे, उसी को देखते हुए मैंनै अपना समर्थन बीजेपी को दिया था।
दरअसल, जबसे नीतीश कुमार भाजपा के साथ जुलाई 2017 में आये, तबसे ही कुशवाहा खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे थे। उन्हें विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही लग रहा था कि भाजपा उन्हें कुशवाहा समाज का नेता नहीं मानती। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा का मानना था कि कुशवाहा समाज का 70 प्रतिशत वोट नीतीश कुमार के नाम पर महागठबंधन को मिला।
वहीं, महागठबंधन के नेता मानते हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा के साथ आने से निश्चित रूप से उनका गठबंधन और मज़बूत हुआ है। कुशवाहा ना केवल अपने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ आक्रामक रूप के कारण तेजस्वी यादव के साथ काफी कारगर साबित होंगे।