हाल ही में केन्द्र की मोदी सरकार आर्थिक रूप से कमजोर समान्य वर्ग के लोगो को मिले 10% आरक्षण देने की घोषणा की थी और सविधान संशोधन बिल संसद और राज्यसभा में रखी थी और ये पूर्ण बहुमत से पास भी हो गया तथा नियम भी बन के तैयार है। मीडिया इसे सिर्फ सवर्णो के लिए आरक्षण बोल कर इसका प्रचार कर रही है। हम आप बता दे की ये समान्य वर्ग में आने वाले सभी लोग वो चाहे किसी धर्म का वो सभी है। इसमें हिन्दू , मुसलमान और ईसाई में जो समान्य वर्ग में आते है वो सभी है। लेकिन कुछ गोदी मिडिया इसे सिर्फ सवर्ण आरक्षण बिल कहके प्रस्तुत कर रहे है जो कि किसी राजनितिक पार्टी के एक अजेंडा को दर्शाता है।
क्या खत्म होगा सवर्णों का आरक्षण ? सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को भेजा नोटिस
दरअसल, आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता आशुतोष ने गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण पर ऐसा कमेंट किया कि टि्वटर यूजर्स उन्हें ट्रोल करने लगे। आशुतोष ने ट्वीट किया, ‘जैसे ही सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण मिला मेरिट की बात होनी बंद हो गयी। जब दलितों पिछड़ों को आरक्षण मिला तो सारे सवर्ण पत्रकारों, बुद्धजीवियों ने सिर आसमान पर उठा लिया था कि देश तबाह हो जायेगा। मेरिट मेरिट मेरिट रटते थे। अब कहते है ऐतिहासिक।’ इस ट्विट के माध्यम से ये सवाल उठाया है जो आप को सोचने पर विवस कर सकता है। क्या आर्थिक आधार पर दिये गए सवर्ण आरक्षण में मेरिट का प्रावधान होना चाहिए या नहीं ?
हम आप को बता दें कि इसमें उन लोगों को शामिल किया जाएगा जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो , 5 एकड़ तक ज़मीन हो ,रहने का मकान 1,000 स्क्वायर फीट से कम हो , रिहायशी प्लॉट अगर शहरी श्रेत्र में आता है तो वह 100 यार्ड से कम हो , रिहायशी प्लॉट शहरी क्षेत्र के बाहर हो तो यह 200 यार्ड से कम होना चाहिए।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने सरकार के मंसा पे सवाल सक किया और नशिहत देते हुए कहा की अगर सरकार को यदि कुछ करना है तो वो सिर्फ रिक्त पड़ी 4 लाख से ज्यादा केंद्र सरकार की नौकरिया और 24 लाख से ज्यादा राज्य सरकार की नौकरिया के पद भर दे। और कुछ करने की जरूरत नहीं है। इसमे किसी प्रकार की आरक्षण की भी जरुरत नहीं है। लेकिन ये येसा नहीं करेंगे।