आज का चंद्र ग्रहण का टाइम ( aaj ka chandra grahan date time )
5 जून 2020 को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू होगा और 6 जून को 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। इसमें सूतक काल मान्य नहीं होगा।
आने वाले चंद्र ग्रहण :
5 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण
ग्रहण का समय: सुबह 08 बजकर 37 मिनट से 11 बजकर 22 मिनट तक होगा
कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में देखा जायेगा।
30 नवंबर, 2020 चंद्र ग्रहण
ग्रहण का समय: दोपहर को 1:02 से शुरू होगा और शाम 5:23 तक
कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: भारत, प्रशांत महासागर, एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया
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चंद्र ग्रहण क्या होता है ?
दरअसल, यह एक खगोलीय घटना होती है। चंद्र ग्रहण उस खगोलिय घटना को कहा जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे होती है और पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है। ऐसे में पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है।
चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का लगता है ?
हम आप को बता दे की चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। जो की इस प्रकार है , पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण। इन सब ग्रहण में बात करे तो सबसे ज्यादा प्रभावशाली पूर्ण चंद्र ग्रहण को माना जाता है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण ( Total Lunar Eclipse ) :
पूर्ण चंद्र ग्रहण की बात करे तो यह तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है और ऐसे में पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है। इसके बाद चंद्रमा पूरी तरह से लाल रंग या संतरे रंग का नज़र आने लगता है और इसी समय ही चंद्रमा पर धब्बे साफ देखे जा सकते हैं। हम आपको बता दें कि ऐसी स्थिति सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनती है। पूर्णिमा को ही पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने की संभावना होती है। इसे सुपर ब्लड मून ( super blood moon ) भी कहा जाता है।
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) :
आंशिक चंद्र ग्रहण की बात करे तो यह तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूरी न आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है। यानी पृथ्वी की छाया सूर्य ओर चंद्रमा के कुछ भाग पर ही पड़ती है। इस ग्रहण का समय बहुत लम्बा नहीं होता है।
खंडच्छायायुक्त या उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse):
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। परन्तु इस स्थिति में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस समय पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया जिसे उपच्छाया या penumbrae कहा जाता है, जो की चंद्रमा के बाकी हिस्से में पड़ती है। यानी चंद्रमा पृथ्वी की छाया से धुंधला नहीं होता है और एक प्रकार की उपच्छाया उपस्थित हो जाती है। यह हमेशा आंशिक चंद्र ग्रहण से ही शुरू होता है।
जाने ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं
१) जैसा सभी मानते है कि ग्रहण काल के दौरान खाना-पिना, शोर मचाना या किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं करने चाहिए।
२) मान्यता है कि सूतक लगने के बाद से गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। माना जाता है कि सूतक से पहले ही खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते रख देने चाहिए।
३) ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर शुद्धिकरण करने की भी मान्यता है। ग्रहण के दान-पुण्य को अच्छा माना जाता है।
क्या है ग्रहण का सूतक काल ? (What Is Sutak)
आप को बता दें कि ग्रणह शुरू होने के 12 घंटे पहले और ग्रहण पूरा होने के 12 घंटे के बाद तक का समय ग्रहण सूतक काल कहलाता है।