हिन्दू देवी देवताओ की आरती, सुबह शाम की पूजा हो या किसी विशेष दिन की पूजा बिना आरती और मंत्रो की अधूरी रहती है। आरती एक तरह के गीत है जो श्रद्धालु भगवान के प्रति कृत्यग्यता और उनका गुणगान करने के लिये गाते है
पूजा अनुष्ठान में आरती गाना देवी-देवता या अपने आराध्य, अपने ईष्ट देवता की उपासना की एक विधि है। आरती के दौरान श्रद्धालु/भक्तजन गाने के साथ साथ आरती की विशेष थाली सजाकर अपने आराध्य देव के सामने घुमाते हैं। मंदिरों में पूजा के दौरना भी आरती गए जाती है। इसी पूजा अनुष्ठान की प्रक्रिया को सांय की पूजा के बाद भी दोहराया जाता है।
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धार्मिक मान्यता है कि आरती करने वाले ही नहीं बल्कि आरती में शामिल होने वाले भी प्रभु की कृपा के पत्र होते है। इसलिये हिन्दू धर्म के माने वाले सुबह शाम की मंदिरो की आरती में शामिल होने को पुण्य का काम समझते है और लोग इसका फल भी पाते है। मंदिरों में आरती तो तो पूरे जोश और मन के साथ की जाती है। कई मंदिरो और धार्मिक स्थलों पर तो आरती देखने लायक होती है। महाकाल हो या बनारस के घाट या हरिद्वार, या फिर मां वैष्णों का दरबार यहां की आरती में लोग शामिल होकर अपने आप को भाग्यशाली मानते है। तमिल में आरती पूजा को ही दीप आराधनई कहा जाता है।
आरती करने का तरीका
आरती करने के लिये आप का मन विचार और शरीर स्वच्छ होना चाहिये आप भगवान के प्रति अटूट विश्वास रखे अर्थात पूरे समर्पण भाव के साथ आरती करे तभी आप को आरती का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि भक्त इस समय अपने अंतर्मन से प्रभु का ध्यान करते है इसलिये इसे पंचारती भी कहा जाता है। इसमें अपने के शरीर के पांचों भाग मस्तिष्क, हृद्य, कंधे, हाथ व घुटने यानि साष्टांग होकर आरती करे।
Aarti Sangrah in Hindi
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