क्यों छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाता है।
saturday ,26 Oct 2019 को छोटी दिवाली है। इसे नरक चतुर्दशी ( narak chaturdashi ) भी कहा जाता है ,छोटी दिवाली हर साल आश्विन मास के कृष्ण पछ की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को ” रूप चौदस” भी कहा जाता है। इस दिन बड़ी दिवाली के मुकाबले छोटे स्तर पर मनाया जाता है,और दिए और पटाखे जलाये जाते हैं।
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नरकासुर वध ( Narkasur vadh)
इस शुभ दिन को भगवान कृष्ण नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था , इसलिए इसे नरक चतुर्दशी जाता है। नरक चतुर्दशी को नरक से मुक्ति पाने वाला उत्सव भी कहा जाता है।
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कन्याओं को बंधन मुक्ति
नरकासुर का वध करके भगवान कृष्ण ने कन्याओं को मुक्ति दिलवाये। समाज में कन्याओं को सम्मान दिलाने लिए श्री कृष्ण ने सभी कन्याओं से विवाह क्र लिए।
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हनुमान ( Hnuman ) जी की पूजा -अर्चना
नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की भी अर्चना की जाती है,क्योंकि इस दिन कार्तिक महीना कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन भगवान हनुमान ने माता अंजना जी के गर्भ से जन्म लिया है।
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यमराज जी की पूजा
मान्यताओं अनुसार इस दिन सुबह नहा -धो करके यमराज की पूजा करते है और शाम समय दीप दान करने से अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है,एवं स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा करना शुभ माना जाता है।
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दीपावली दीप प्रज्जवलित
दिवाली के एक दिन पहले की जाने वाली इस पर्व (छोटी दिवाली ) के शाम के समय दीप प्रज्जवलित करना शुभ माना है।
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लक्ष्मी माँ
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली ) के दिन तेल की दीप जलाने से माँ लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
क्या आप को पता क्यों मनाते ” छोटी दिवाली” ?
विष्णु पुराण के कथाओ में नरकासुर वध का उल्लेख मिलता है। विष्णु ने भूमि देवी को वराह अवतार करके सागर से निकला था। द्वापर युग में भूमि देव ने एक पुत्र को जन्म दिया।।वह एक अत्यंत क्रूर असुर था कारण ही उसका नाम नरकासुर पड़ा।
नरकासुर प्रयागज्योतिषपुर का राजा बना। उसने देवी -देवताओं और मनुष्यों सभी को बहुत तंग क्र रखा था। यही नहीं उसने गंधर्वों और देवों की 16000 अप्सराओं को कैद करके रखा हुआ था। सभी देवतागण भगवान इन्द्र के पास दौड़े दौड़े रक्षा की गुहार लगाने पहुंचे। इंद्र की प्रार्थना पर भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर की नगरी पर अपनी पत्नी सत्यभामा और सभी सैनिकों के साथ भयंकर आक्रमण कर दिया।
उस युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने मुर,हयग्रीव और पंचजन इत्यादि राक्षसो का संहार कर दिया। इसके बाद कृष्ण ने थकान की वजह से क्षण भर के लिए अपनी आँखे बंद कर ली। तभी नरकासुर ने हाथी का रूप धारण कर लिया और कृष्ण पर हमला करने आ गया। सत्यभामा ने उस असुर से लोहा लिया और नरकासुर का वध किया। उसके बाद 16000 कन्याओ को उन राक्षसों के चंगुल से छुड़ाया लिए। इसलिए ये उत्सव मनाया जाता हैं। तभी से इनका नाम “नरक चौदस “पड़ गया।
कृष्ण भगवान के संबंध वामन अवतार से भी है।
राजा बलि अत्यंत पराक्रमी और महादानी राजा था। यहां तक की देवराज इन्द्र भी उससे डरते थे। इंद्र भय था कि राजा बलि उनसे उनका राज्य न छीन ले।इसी डर से भगवान इंद्र ने राजा बलि से अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु से गुहार लगाई। भगवन विष्णु ने रूप धर करके राजा बलि से तीन पग भूमि मांग ली और उसे पाताल लोक का राजा बना कर पाताल भेज दिया। दक्षिण भारत में मान्यता है कि ओणम के दिन हर वर्ष राजा बलि आकर अपने पुराने राज्य को देखता है। विष्णु भगवान की पूजा क साथ-साथ राजा बलि की पूजा भी की जाती है। नरक चौदस के दिन दिया जलने से वामन भगवान खुश होते है ,तथा मनचाहा वरदान मिलता है।
छोटी दिवाली के मंत्र
छोटी दिवाली वाले दिन माँ लक्ष्मी और गणेश की पूजा होती है। इस दिन यमराज की आराधना की जाती है। आप इस मंत्र से अपनी पूजा पूरी कर सकते है।