जाने दीपावली 2023 की कुछ खास बातें

जाने दीपावली 2019 की कुछ खास बातें

कब है दिवाली(diwali) और कैसे मनायी जाती है।

लक्ष्मी पूजा (मुख्य दीपावली ) , 12 नवंबर, 2023 को है। दिवाली ,एक धार्मिक पर्व है। अनेक प्रकार के रंगो के प्रयोग से रंगोली सजाने ,प्रकाश और खुशी का ,अंधकार हटाने का ,मिठाई का, पूजा आदि का त्यौहार है। जो भारत  के साथ-साथ देश के बाहार भी कई स्थानों पर मनाया जाता है। यह रौशनी का त्यौहार कहलाता हैयह सम्पूर्ण विश्व में मुख्यतः हिन्दुओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है।

इस दिन (दिवाली के दिन )बहुत से देशो जैसे -सिंघपुर ,नेपाल ,सोरिनम ,तोबागो ,मारीशस ,गुयाना ,त्रिनद,श्रीलंका ,म्यांमार,मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकास होता है। यहाँ पांच दिन का हिन्दू त्यौहार (धनतेरस ,नरक चतुर्दशी ,अमावस्या ,कार्तिक सुधा पंचमी ,यम द्वितीया या भाई दूज )है ,जो धनतेरस (आश्विन माह के पहले दिन का त्यौहार है )से सुरु होता है और भाई दूज (कार्तिक माह के अंतिम दिन का त्यौहार है )पर खत्म होता है।

दिवाली (diwali) के उत्सव का तारीख हिन्दू चन्द्र सौर कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होता है। दिवाली का त्यौहार बहुत ख़ुशी से घरों घरों में मनाया जाता है। दिवाली के दिन घरो को सजाकर बहुत साडी लाइटें ,रंगोली बनाकर ,दियें ,मोमबत्ती ,आरती पढ़कर ,पटाखे जलाकर ,उपहार बाँटकर मिठाई ,ग्रीटिंग कार्ड,संदेश भेजकर ,खेल खेलकर , मिठाई खाकर और एक दूसरे को मिठाईयाँ खिलाकर ,एक दूसरे को गले लगाकर और बहुत सारी गतिविधियों के साथ मनाया जाता है।

दिवाली (diwali)के दिन भगवान् की पूजा और त्योहारोत्सव हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। ये हमें अच्छे कार्य करने के प्रयासों के लिए शक्ति की देता है। देवत्य के और ज्यादा करीब लता है। घर के चारो तरफ मोमबत्ती और दिए जलाकर हर एक कोने- कोने को प्रकाशित किया जाता है। यह माना गया है कि पूजा और अपने करीबी और परिजनों को उपहार दिए बिना यह त्यौहार अधूरा माना जाता है।

  • दिवाली  का उत्सव 5 दिनों तक चलता है।

दिवाली 2023 का उत्सव 5 दिनों तक चलता है।

दिवाली दिवस 1: 10 नवंबर, 2023 त्रयोदशी – धनतेरस
दिवाली दिवस 2: 11 नवंबर, 2023 चतुर्दशी – छोटी दिवाली
दिवाली दिवस 3: 12 नवंबर, 2023 अमावस्या – दिवाली
दिवाली दिवस 4: 13 नवंबर, 2023 प्रतिपदा – पड़वा
दिवाली दिवस 5: 14 नवंबर, 2023 द्वितीया – भाई दूज

दिवाली (diwali)कब और क्यों मनायी जाती है।

यह हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह परम्परागत रूप से हर साल अक्टूबर के बिच में या नवम्बर के बिच में दशहरा के 18 दिन बाद मनाया जाता है। दिवाली (diwali) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की 13 वे चंद्र दिन पर मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार हर साल बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। यह धनतेरस से लेकर 5  दिनों तक चलता है। कहीं-कहीं ये त्यौहार 6 दिनों तक चलता है।जैसे महारष्ट्र में यह 6 दिनों तक मनाया जाता है।

दिवाली(diwali) मुख्य त्यौहार है के रूप में हिन्दुओ और अन्य धर्म के लोगो द्वारा मनाई जाती है मान्यताओं के अनुसार ,दिवाली के त्यौहार मनाने के बहुत सरे कारण है एवं नए  साल ताजगी के साथ सुरु करने में मनुष्यों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोगों की मान्यता ये है कि -जो लोग काम लोग इस साल करेंगे वही साल भर करेंगे। इसलिए लोग अच्छे काम करते है ,जैसे घर के प्रत्येक कोनो को प्रकाशित करना ,धनतेरस पर खरीदारी करना ,भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी की घर के शु:ख, शांति ,समृद्धि पाने के लिए पूजा आराधना करना।,अपने घरो को सजाना ,स्वादिस्ट भोजन बनाना ,मिठाई बाटना और अन्य गतिविधियां जिससे वे पूरे साल वे काम कर सके।विद्यार्थी अधिक समय तक पढ़ाई करते है। विद्यार्थी नियमितरूप से क्लास लेते हैं। व्यवसायी लोग अपने कहते को अच्छे से तईयार करते है।

क्या आप जानते है -रोशनी की इस खूबसूरत त्यौहार की कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें ?

  1. दीपावली (dipawali) संस्कृत के दो शब्दो के मेल से बना है और वह दो शब्द है – दीप + आवली यहाँ  दीप का अर्थ है-“दीपक ” और आवली का अर्थ है –“श्रृंखला “ जिसका मतलब होता है –” दीपकों की श्रृंखला “
  2. हिन्दू दिवाली को देश के कुछ हिस्सों में यम और नचिकेता की कथा के साथ जोड़ा गया है।
  3. स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला मन गया है।
  4. सातवीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नगनन्द  में राजा हर्ष ने इसे दीप प्रतिपदुत्स्वः कहा है जिसमें दिप जलाये जाते थे और नव दुल्हन और दूल्हे को तोहफे दिए जाते थे .
  5. फारसी यात्री ने 11 वीं सदी के संस्मरण में ,दीवाली को कार्तिक महीने में नए चन्द्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा जाता है।

दिवाली का महत्व

दीवाली हिन्दू धर्म के लिए एक धार्मिक ,सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का त्यौहार (जिसका अर्थ है ,जागरूकता और अन्दर से प्रकाश का जस्न, उमंग ,ख़ुशी से है ) है। हिन्दू पौराणिक कथाओं  के अनुसार-अईसा मन जाता है कि जो शुद्ध है जो कभी खत्म न होने वाला है अपरिवर्तनीय (जिसे परिवर्तित नहीं कर  सकते है )और भौतिक शरीर के साथ -साथ अनंत से भी परे जिसे आत्मा कहा जाता है। लोग पाप पर सत्य की जीत का आनंद लेने के लिए दिवाली मनाते है।

दीवाली को “बुराई पर अच्छाई की जीत”

दीवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत ,अज्ञान पर ज्ञान की जीत ,अंधकार पर प्रकाश की जीत और निराशा पर आशा की जित से जोड़कर देखते है। इसलिए इस दिन केवल घरों को ही दीपों से रौशन न करें बल्कि अपने अंदर के अंधकार को भी मिटने का कोसिस करें।

आईये जानते है-” दीवाली का इतिहास “

ऐतिहासिक रूप से दीवाली भारत में बहुत प्राचीन कल से मनाया जाता है। हालाँकि लोग दिवाली कुछ इस विस्वाश के साथ मनाते है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की सदी भगवान विष्णु से हुई थी। लोग इस त्यौहार को मुख्य फसल के त्यौहार को रूप में मनाते थे। बंगाली इस त्यौहार को काली माँ की पूजा करके मनाते है।

हिन्दू इस त्यौहार को हाथी के सिर वाले भगवान ‘ गणेश ‘ धन और  समृद्धि की माता  ‘ लक्ष्मी ‘ की पूजा करके दिवाली मनाते है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार -यह मन जाता है की इस दिन देवी लक्ष्मी देवताओं और असुरों द्वारा बहुत लम्बे समय से सागर मंथन के बाद क्षीर सागर से बाहर आयी। वह ब्रम्हाण्ड में धन और समृद्धि प्रदान करने के लिए अवतरित हुयी थी माँ लक्ष्मी का स्वागत और सम्मान करने के लिए लोगो ने इनकी पूजा की। बहुत खुश होने के कारन लोगो ने एक दूसरे को मिठयां बांटी।

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