Durga Ashtami 2023 Kab Hai ( दुर्गा अष्टमी कब हैं)
Durga ashtami 2023: प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी नवरात्रि की पूजा पूरे विधि विधान व हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा ,इस वर्ष Durga Ashtami 22 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा ।
2023 में होने वाले सभी Durga ashtami की लिस्ट देखे ( List of Durga ashtami 2023)
Durga ashtami ka mahatva | Significance of durga ashtami | दुर्गाष्टमी का महत्व
दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का अत्यधिक महत्वपूर्ण त्योहार हैं जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक, सास्कृतिक और सासांरिक महत्व हैं। माना जाता है कि दुर्गाष्टमी प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती हैं इसी कारण इस दिन को अक्सर मास दुर्गाष्टमी या मासिक दुर्गाष्टमी कहा जाता हैं। नवरात्रि के समय दुर्गाष्टमी विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि सबसे शुभ दिन माने जाते है । शारदीय नवरात्रि के दौरान दुर्गा अष्टमी को हिन्दू धर्म मे इस दिन के महत्व के कारण महा अष्टमी के रूप मे भी जाना जाता हैं ।दुनिया भर के हिन्दू द्धारा इस त्योहार को व्यापक रुप मे मनाया जाता हैं।
दुर्गा अष्टमी नवरात्रि का आठवा दिन होता है।
दुर्गा पूजा का उत्सव भारत के असम, उड़ीसा ,बंगाल ,झारखंड ,मणिपुर और त्रिपुरा मे अत्यधिक बड़े स्तर पर मनाया जाता है ।इन सबके अलावा दुर्गा पूजा भारत के दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,गुजरात ,पंजाब ,महाराष्ट्र आदि राज्यों मे नवरात्रि पूजा के नाम से मनाया जाता हैं।कहा जाता हैं कि माँ दुर्गा सिंह पर सवारी करने वाली दस हाथों वाली देवता का पूजा सभी राष्ट्र के सारे हिस्सो मे लगभग किया जाता हैं। माँ दुर्गा के अस्त्रों का पूजा अस्त्र पूजा या आयुध पूजा के दौरान किया जाता हैं।नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के सभी श्रद्धालु भारी संख्या मे पडांल लगाकर उनकी मूर्ति स्थापित करके बड़े श्रद्धा से उनकी पूजा अर्चना करते हैं।दुर्गा अष्टमी, नवरात्रि के उत्सव के आठवें दिन के प्रतिनिधि का कार्य करता हैं।
वीर अष्टमी ( Veer Ashtami )
इस दिन को वीर अष्टमी ( Veer Ashtami ) के नाम से भी जाना जाता हैं। हम सभी जानते है कि प्रत्येक महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता हैं ,इस दिन भक्त माँ दुर्गा की उपासना व पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा को समर्पित हैं क्योंकि यह दिन माँ दुर्गा को बहुत प्रिय होती हैं । इस त्योहार को हिंदू धर्म के लोग अत्यधिक बड़े स्तर पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं , नवरात्रि के दिन ही माँ काली देवी दुर्गा के माथे से चंड मुंड का विनाश करने के लिये प्रकट हुई थी ।
कैसे करे अष्टमी पर कन्या पूजन ?- ( Kaise kare Durga Ashtami Kanya Pujan ?)
अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के आठवें रुप यानी महागौरी का पूजन किया जाता हैं देवी महागौरी जी को श्वेताम्बर भी कहते हैं और इनको श्वेत रंग प्रिय हैं। नवरात्र मे नौ दिनों तक उपवास करने वाले सभी भक्त गण अष्टमी को नौ कन्याओं का पूजन करते हैं क्योंकि इसका विशेष महत्व हैं। अष्टमी पर कन्याओं का पूजन इस प्रकार किया जाता हैं-
- कन्या पूजन के दिन सर्व प्रथम स्नान करने के उपरांत गणेश और गौरी की पूजा करें।
- कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं के साथ एक छोटे से बालक को आमंत्रित करें बता दे कि बालक को बटुक भैरव के रूप मे पूजा करते हैं।
- कन्या रूपी माताओं को स्वछ परिवेश मे ही बुलाना चाहिए।
- सभी कन्याओं को यथास्थान पर बिठाये उसके बाद उनके पैरों को धोये तदोपरांत उन्हें रोली लगाये, कुमकुम अक्षत का टीका लगाकर उन सभी को मौली बाँधे और कन्याओं और बालक के सामने घी का दीपक जलाकर आरती करें और उन सभी को भोग ( पूरी ,चना ,हलवा ) लगाये ।
- कन्याओं को यथाशक्ति भेंट व उपहार देकर कन्याओं का पैर छूकर उनसें विदा ले ।
दुर्गा अष्टमी व्रत अनुष्ठान कैसे करे ? ( Durga Ashtami Vrat Anushthan kaise kare ?)
नवरात्रि के इन नौ दिनों मे माँ दुर्गा के नौ स्वरूप का पूजा किया जाता हैं विशेष रूप से उत्तर भारत मे सभी भक्त गण विशेष कृपा पाने के लिए नौ दिन उपवास करते हैं।
- नवरात्रि के दौरान सभी भक्त गण ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर प्रायः स्नान करके माँ दुर्गा की मूर्ति को फूल, गंध और चंदन चढ़ाते हैं।
- कुमारी पूजन नवरात्रि के त्यौहार का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं जिसमें 9-12 वर्ष के बीच की कन्याओं की पूजा करने का विशेष महत्व हैं।
- नवरात्रि का उपवास करने वाले सभी भक्त गण फलाहार होते है और भोजन नहीं करते है।
- नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करना और माँ दुर्गा को समर्पित कई मंत्रों के जाप व पुरोहितों को दक्षिणा देना भी महत्वपूर्ण पहलू मे से एक हैं ।
दुर्गाष्टमी पूजन करने के साम्रगी ( durga ashtami pujan samagri )
नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते है नवरात्रि का पूजा करने के लिए आवश्यक साम्रगी इस प्रकार हैं –
• चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा ,लाल चुनरी ,दुर्गा -सपाष्टि ,दुर्गा चालीसा और आरती की पुस्तक ,कलश ,आम के पत्ते ,नये स्केलले हुए आम के पत्तों के साथ फूल और माला।
• पान ,सुपारी ,इलायची ,कपूर , लौंग रोली ,सिन्दूर ,मौली ,चावल।
हवन कुंड ,आम की लकड़ी , हवनकुंड पर लगाने के लिए रोली, काले तिल ,चावल ,जौ , धूप ,चीनी ,पंचमेवा , घी ,लोबान ,गूगल ,लौंग का जोड़ा ,कमलगट्टा, सुपारी ,कपूर, हवन मे चढ़ने के लिए प्रसाद की मिठाई और नवमी को हलवा पूरी व आचमन के लिए शुद्ध जल।
दुर्गाष्टमी पूजन की व्रत विधि ( durga ashtami ki Pujan Vidhi )
इस दिन सबसे पहले नहा धोकर करके शुद्ध हो जाएं, फिर पूजा के जगह को गंगाजल से उसकी शुद्धि करण कर लें। इसके बाद लकड़ी के पाट या पटरी पर लाल कपडे बिछाकर उस पर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित कर लें। फिर माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, फिर प्रसाद के रूप में आप फल और मिठाई चढ़ाएं अब धूप और दीपक जलाएं। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर माता की आरती करें। फिर हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें माता आपकी इच्छा जरूर पूरी करेंगी।