When is ganesh chaturthi in 2024? गणेश चतुर्थी कब है 2024
Ganesh Chaturthi on Sunday, 08 September 2024.
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
देखे आज का चौघड़िया ।
इस वर्ष, गणेश चतुर्थी 08 september और 18 september को गणेश विसर्जन के दिन समापन है। इस शुभ त्योहार के बारे में अधिक जानकारी जानने के लिए पढ़ें।
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गणेश चतुर्थी के बारे में विशेष जानकारी
भगवान श्री गणेश को बुद्धि, ऐशवर्य, धन, ज्ञान, और समृद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा किसी भी शुभ कार्यं को करने से पहले की जाती है, श्री गणेश जी विघ्न को दूर करने वाले है। वे हमे सद्बुद्धि और धन देते है, ताकि की हम अपने कार्य में सफल हो सके। इसलिये हिन्दू लोग महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेते हैं। भगवान गणेश को 108 विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे गजानन, विनायक, विघ्नहर्ता अन्य। आप को इन नमो और उनके मन्त्रोंका जानन आवश्यक है। साथ ही गणेश को प्रश्न करने वाले गणेश मंत्रो को भी यहाँ दिया जा रहा है।
This Guide to Ganesh Chaturthi in Mumbai
गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरी दुनिया में न केवल हिंदुओं द्वारा बल्कि विभिन्न धर्मावलंभियो के द्वारा भी बहुत श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत में गणेश चतुर्थी का उत्सव यह प्रमुख रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना सहित राज्यों में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी इतिहास
यह पौराणिक कथाओ और धार्मिक ग्रंथो से जुड़ा श्रद्धा का उत्सव है गणेश चतुर्थी का इतिहास आप उससे जुड़ी कहानियो से जान सकते है। भारत में यह उत्सव बहुत समय पहले से मनाया जाता रहा है।समय के साथ गणेश चतुर्थी के उत्सव ने एक भव्य समारोह का रूप ले चूका इस दिन कई जगहों पर अवकाश रहता है बड़ा हो या बूढ़ा हर कोई गणेश चतुर्थी के उत्सव में पुरे जोश और जूनून के साथ जुड़ता है। ऐसे ही खास माहौल बनता है सपनो की नगरी मुंबई में पढ़े गणेश चतुर्थी से जुड़ी मुंबई की विशेष गाइड। गणेश चतुर्थी के इतिहास के साथ हम बढ़ते है इससे जुड़ी पौराणिक कथाओ के तरफ।
गणेश चतुर्थी की कहानी
गणेश जी जन्म की कहानी कौन नहीं जनता है, माता पार्वती और भगवान शिव के छोटे पुत्र गणेश जी हैं। उनके जन्म और चतुर्थी उत्सव के पीछे कई धार्मिक कहानियां हैं लेकिन उनमें से दो सबसे आम हैं।
पहली कहानी, जिसमे माता पार्वती ने अपने शरीर से उतरे लेप से एक पुतला बनाया और अपनी दैवीय शक्तियों का आवाहन कर के उसमे जान डाल और आदेश दिया जब तक मैं स्नान कर रही हूँ तुम्हे किसी को अंदर नहीं आने देना है माता पार्वती गणेश जी के उस रूप ने द्वारपाल का पद संभाला। जब गणेश जी द्वार की रखवाली कर रहे थे तभी भगवन शिव आये और द्वार से प्रवेश करने को आगे बढे भगवान गणेश ने उन्हें रोका, गणेश जी नहीं जानते थे कि शिव कौन थे। शिव जी के कए बार कहने और मनाने पर भी वे नहीं माने तो, तथा माता परवर्तिकी आज्ञा का पालन करने में लगे रहे इससे शिव नाराज हो गए और उन्होंने दोनों के बीच यूद्ध शुरू हो गया भगवान शिव ने क्रोध में अपने त्रिशूल कर प्रहार से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बालक गणेश की चीत्कार सुनकर माता पार्वती दौड़ती हुई आये और बालक गणेश का यह हाल देख कर उन्हें प्रचंड क्रोध आ गया।
माता पार्वती के इस क्रोध को देख कर सभी देवता चिंतित हो गए और माता से शांत होने और गलती की माफ़ी की याचना करने लगे लेकिन अपने पुत्र का मृत शरीर देख के माता का क्रोध शांत नहीं हुआ तो देवताओ ने बालक गणेश को पुनः जीवित करने करने का उपाय किया। देवों को उत्तर दिशा की ओर जो जीव मिलेगा उसका सर लेकर आना है, देवता वापस हाथी के सिर लेकर लौटे। शिव ने उससे हाथी के सिर को बालक के मृत शरीर से जोड़ कर उसे नया जीवन दिया इस परकार गणेश जी नए रूप का जन्म हुआ।
दूसरी प्रचलित कहानी यह है कि जब दुष्टो का प्रकोप बढ़ने लगा तो देवों ने भगवान शिव और माता पार्वती से रक्षा की याचन की तो भगवान शिव और माता पार्वती ने भगवान विनायक का आवाहन किया इसलिये गणेश चतुर्थी की विनयका चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है भगवान विनायक विघ्नहर्ता है अर्थार्त बाधाओं और दुखो को दूर करने, सहायता करने वाले है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करते है उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। और जब गणेश जी की स्थापना की जाती है तो वो अपने साथ खुशियाँ और वैभव लाते है उनके आने से सभी दुःख दूर हो जाते है और वातावरण पवित्र हो जाता है
ऐतिहासिक रूप से, त्यौहार महाराज शिवाजी के समय से बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता रहा है। जिसकी झलक हमे मुंबई गणेश चतुर्थी उत्सव में देखने को मिलती है
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोकमान्य तिलक जी ने गणेश चतुर्थी को एक निजी उत्सव से एक भव्य सार्वजनिक उत्सव में बदल दिया, जहां सभी समाज, जाति के लोग एक साथ भगवान गणेश की पूजा करते।
मिट्टी के गणेश जी
पर्यावरण का बचाव आज के समय का एक अहम मुद्दा है और गणेश चतुर्थी का उत्सव खुशियाँ मानाने का सन्देश देता है हम सब का यह प्रयाश होने चाहिये की “मिटटी के गणेश जी” इस सन्देश की पालना हो जिसके विषर्जन से जलस्यों का जल पवित्र और साफ रहे।
गणेश चतुर्थी की पूजा अनुष्ठान
गणेश चतुर्थी के चार मुख्य अनुष्ठान हैं जो 10 के उत्सव के दौरान किए जाते हैं। वे हैं- प्राणप्रतिष्ठा, षोडशोपचार, उत्तरपूजा और गणपति विसर्जन।
गणेश चतुर्थी की उमंग वास्तव में त्यौहार शुरू के कई हफ्तों पहले से रहती है। कारीगर/मूर्तिकार अलग-अलग पोज़ और साइज़ में गणेश की मिट्टी की मूर्तियाँ तैयार करने में लगे रहते हैं।
सामाजिक तौर पर गणेश मूर्तियों को मानाने के लिये जगह जगह ‘पंडाल’ बनाये जाते है।
लोग अपने घरों, मंदिरों और आस पास की जगह हो को भगवान श्री गणेश के स्वागत के लिये तैयार करते है। सुंदर ढंग से सजाते है।
- गणेश जी की प्रतिमा को फूल, माला और रोशनी से भी सजाया गया है।
- प्राणप्रतिष्ठा का अनुष्ठान पुजारी द्वारा मंत्रो के साथ किया जाता है
- षोडशोपचार अनुष्ठान में 16 अलग-अलग तरीकों से गणेश की मूर्ति की पूजा की जाती है।
- लोग धार्मिक गीत, भजन गाकर, ढोल की थाप पर नाच-गाकर और आतिशबाजी जलाकर उत्सव मनाते हैं।
- उत्तरपूजा अनुष्ठान तब किया जाता है जब भगवान गणेश जी को सम्मान के साथ विदाई देते है।
इसके बाद गणपति विसर्जन का आयोजन होता है, जिसमें मूर्ति को अब पवित्र जल में विसर्जित कर दिया जाता है। मुंबई में प्रतिमा को समुद्र में ले जाते समय और उसे विसर्जित करते समय, भरी मात्रा में लोग शामिल होते है आम तौर पर मराठी भाषा में ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरिया’ गणपति बाप्पा अगले वर्ष तू फिर आना अपने प्रिय देवता को विदाई देते है। गणपति विसर्जन का उत्सव बहुत ही भावुक समय होता है लेकिन परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है
जबकि कुछ भक्त इस त्यौहार को घर पर मनाते हैं, अन्य लोग सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश के दर्शन करते हैं और मन्नते मांगते। लोग प्रार्थना और गणेश को प्रसाद चढ़ाते हैं। भगवान गणेश के पसंदीदा मोदक, पूरन पोली, और करंजी जैसे व्यंजन दोस्तों, परिवार और आगंतुकों को प्रसाद के रूप में दिया जाता हैं।
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Ganesha Aarti – गणेश जी की आरती –
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Ganesh Chaturthi Photo Gallery.
Ganesh Chaturthi in Year | Date | Day |
2020 | 22 Auguest | Saturday |
2021 | 10-Sep | Friday |
2022 | 31-Aug | Wednesday |
2023 | 19-Sep | Tuesday |
2024 | 07-Sep | Saturday |
2025 | 27-Aug | Monday |