गंगा दशहरा पर्व 2020 का शुभ मुहूर्त कब है? जाने पर्व की महिमा और पौराणिक कथा

गंगा दशहरा पर्व का शुभ मुहूर्त कब है

Ganga Dussehra 2020 : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन गंगा दशहरा का पर्व होता है इसके बाद निर्जला एकादशी का व्रत आता है. मान्यता है कि राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा इस दिन पृथ्वी पर उतरी थी।

गंगा दशहरा – शुभ मुहूर्त ( shubh muhurt and date )
दशमी तिथि आरंभ: 31 मई 2020  दिन रविवार को  05:36 बजे शाम
दशमी तिथि समापन: 1 जून 2020 दिन सोमवार को  02:57 बजे शाम

shubh muhurt and date

जाने  गृह प्रवेश ( Griha Pravesh ) के लिए शुभ मुहूर्त 2020  इसके अलावा आप गृह निर्माण, भूमि पूजन और नीव पूजन के लिए शुभ मुहूर्त भी देख सकते है।

जाने ज्येष्ठ महीने में पानी का महत्व   

ज्येष्ठ का महीना हिन्दू पंचांग के अंर्तगत तीसरा मास माना गया ह।ज्येष्ठ माह  गर्मी का महीना है, तथा  इस माह को जेठ का महीना भी कहा जाता है। इस महीने सूर्य देव अपने पूरी गति में आ जाते हैं।  जिस कारण  मालमास या खरमास के बाद सूर्य की गति तेज होने लगती है और ज्येष्ठ माह के आरंभ होते ही सूर्य अपने पूर्ण स्वरूप में आ जाते हैं।  जिस कारण जल का संकट खड़ा हो जाता है।  इसलिए ज्येष्ठ माह में जल का महत्त्व बढ जाता है  लोगों को जल का महत्व बताने के लिए इस माह में दो विशेष पर्व आते हैं।  जिन्हें गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस माह में वाष्पीकरण की क्रिया तेजी से होती है और नदियां और तालाब सूखने लगते हैं।  पानी सभी के लिए अतिआवश्यक है।  देश के हिस्सों में गर्मी के शुरू होते ही जल का संकट खड़ा हो जाता है। जल को बचाने के लिए सभी का प्रयास करना चाहिए। क्योकि जल है तो जीवन है।

गंगा दशहरा का पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं. भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया. फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया. ये धाराएं हैं – नलिनी, हृदिनी, पावनी, सीता, चक्षुष, सिंधु और भागीरथी. भागीरथी ही गंगा हुई और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गई. इन्हें कहीं-कहीं पार्वती की बहन कहा जाता है। इन्हें शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है और अभी भी शिव की जटाओं में इनका वास है।

गंगा दशहरा के पर्व की महिमा क्या है

गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है।  माना जाता है कि –  इसी दिन गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था।  इस दिन गंगा स्नान, गंगा जल का प्रयोग, और दान करना विशेष लाभकारी होता है।  इस दिन गंगा की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।  व्यक्ति को मुक्ति मोक्ष का लाभ मिलता है।  इस बार गंगा दशहरा 31 मई से शुरू 1 जून तक मनाया जाएगा।

इन दस दिनों के दौरान गंगा मैय्या के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना का भी महत्व है। इस दौरान गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापकर्मों से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है, लेकिन अभी गंगा नदी में स्नान करना संभव नहीं है। लिहाजा अपने घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर, उससे स्नान करें और दोनों हाथ जोड़कर मन ही मन गंगा मैय्या को प्रणाम करें। इस दौरान गंगा स्त्रोत का पाठ करना भी बहुत लाभदायक होता है। 

मंत्र ( Ganga Dussehra Mantra )

ॐ नमः शिवायै गङ्गायै शिवदायै नमो नमः।

नमस्ते विष्णुरुपिण्यै, ब्रह्ममूर्त्यै नमोऽस्तु ते॥ से शुरू करके
त्वमेव मूलप्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।
गङ्गे त्वं परमात्मा च शिवस्तुभ्यं नमः शिवे ||  तक नित्य पाठ करना चाहिए

कहते हैकि – इस दौरान गंगा स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को पापकर्मों से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

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