Baba Baidyanath भारत के राज्य झारखंड मे अतिप्रसिद्ध देवघर ( Devghar ) नामक स्थान पर स्थित हैं। यह मंदिर ( Mandir ) पवित्र तीर्थस्थल होने के कारण लोग इसै वैघनाथ धाम ( Baidyanath Dham) भी कहते है और यह मंदिर जहाँ पर स्थित है उसे देवघर अर्थात् देवताओं का घर कहते हैं। वैघनाथ मंदिर स्थित होने के कारण उस स्थान को देवघर नाम मिला हैं। यह एक सिद्धपीठ हैं। ऐसी मान्यता हैं कि यहाँ आने वालों लाखों भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसलिए इस लिंग को “कामना लिगं” ( kaamna ling ) कहा जाता है। श्रावण के महीने में सभी शिव भक्तो में सावन का सोमवार ( Sawan Ka Somwar ) बहुत ही मुख्य दिन और पवित्र दिन माना जाता है और भक्त इस दिन सावन सोमवार व्रत ( Sawan Somwar Vrat ) रखते है।
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बाबा वैघनाथ धाम स्थापना की कथा – Baba Baidyanath Dham katha
इस लिगं का स्थापना का इतिहास काफी पुराना हैं एक बार राक्षसराज दशानन ने हिमालय पर जाकर शिव जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या करने लगा जिसमें वह शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने लगा नौ सिरो के चढ़ाने के बाद वह अपना दशवा सिर भी काटने ही वाला होता हैं,इतने मे शिव प्रसन्न होकर उसे दर्शन दे देते हैं, शिव जी ने रावण के पूजा से प्रसन्न होकर उसे वरदान माँगने को कहा,रावण ने शिवलिंग की स्थापना लंका मे करने के लिए उनसे आज्ञा माँगी । शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर अनुमति इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग मे इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वहीं अचल हो जाएगा अन्त मे यही हुआ । रावण शिवलिंग को लेकर चला पर रास्ते मे चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका का आभास हुआ। रावण उस लिगं को एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ भील था को थमा लघुशंका निवृत्ति करने चला गया । इधर अहीर भील को ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया । लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे उखाड़ न सका और निराश होकर लौट गया । इसके बाद सभी देवी- देवता उस शिवलिंग की आकर पूजा की ।शिव जी के दर्शन प्राप्त कर सभी देवी -देवता ने वहीं शिवलिंग की प्रतिस्थापना कर दी और शिव स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग लौट गये । जनश्रुति व लोक के मान्यता के अनुसार यह वैघनाथ ज्योतिर्लिंग मनोवांछित फल देने वाला हैं।
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वैघनाथ मंदिर के मुख्य आर्कषण –
माना जाता हैं कि यह बहुत पवित्र हैं । देवघर का शाब्दिक अर्थ हैं – देवी -देवताओ का निवास स्थान । देवघर मे बाबा शिव शंकर का अत्यंत पवित्र और सुभव्य मंदिर हैं । हर साल सावन के महीने मे स्रावण मेला लगता हैं , जिसमें करोड़ों श्रन्दालु बोल बम ! बोल बम ! का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं । देवघर शान्ति और भाईचारे का प्रतीक हैं । यह एक प्रसिद्ध हेल्थ रिजार्ट हैं। देवघर की यह यात्रा बासुकिनाथ के दर्शन के साथ सम्पन्न होती हैं । बाबा वैघनाथ का मुख्य मंदिर भी बने हुए हैं। बाबा भोलेनाथ का मंदिर माँ पार्वती जी के मंदिर से जुड़ा हुआ हैं। मंदिर के समीप एक विशाल तालाब स्थित हैं।
वैघनाथ धाम की पवित्र यात्रा व कांवड़ यात्रा – Baidyanath Dham ki Pavitra Yatra or kanwar Yatra
देवघर भारत के झारखंड राज्य का एक शहर हैं। यह देवघर जिले का मुख्यालय तथा हिन्दूओ का प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं। इसे बाबाधाम नाम से भी जाना जाता हैं।
वैघनाथ धाम को पवित्र यात्रा श्रावण मास ( जुलाई -अगस्त ) मे प्रारंभ होती हैं । इसे काँवर यात्रा ( Kanwar Yatra ) या , कांवड़ यात्रा ( Kanwad Yatra ) भी कहते है। इस यात्रा में शिव भक्त सबसे पहले तीर्थयात्री सुल्तानगंज मे इकट्ठे होते हैं जहाँ पर वे अपने -अपने पात्रों मे जल भरते हैं। पवित्र जल को अपने अपने काँवर पर लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता हैं कि वह पात्र जिसमें जल हैं वह कहीं भी भूमि से न सटे।
बाबा वासुकीनाथ धाम व मंदिर – Baba Basukinath Dham or Mandir
वासुकीनाथ ( Basukinath ) झारखंड के दुमकर जिले मे स्थित है। यह हिन्दुओं के लिए तीर्थयात्रा कि एक स्थान है। वासुकिनाथ मंदिर ( Basukinath Mandir ) यहाँ मुख्य आकर्षण हैं। श्रावण मे कई देश के लोग यहाँ भगवान शिव की पूजा करने के लिए यहाँ आते हैं वासुकिनाथ अपने शिव मंदिर के लिए जाना जाता हैं। वैघनाथ मंदिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती हैं जब तक वासुकीनाथ मे दर्शन नहीं किए जाते हैं।वासुकीनाथ मंदिर परिसर मे कई अन्य छोटे – छोटे मंदिर भी हैं।
बैजू मंदिर – Baiju Mandir
बाबा वैघनाथ मंदिर परिसर के पश्चिममे देवघरके मुख्य बाजार मे तीन और मंदिर भी हैं। इन्हें बैजू मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इन मंदिरो का निर्माण बाबा वैघनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी के वंशजो ने किसी जमाने मे करवाया था । हर एक मंदिर मे भगवान शिव का लिगं स्थापित हैं।
वैघनाथ धाम मे महाशिवरात्रि व पंचशूल की पूजा -Baidyanath Dham me MahaShivratri or Panchshul Ki Puja
भारत मे झारखंड राज्य के देवघर जिले मे बाबा वैघनाथ का मंदिर स्थित है। संसार के सभी मंदिरो के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दिखता है लेकिन वैघनाथ धाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी ,नारायण व अन्य सभी मंदिरो के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं। यहाँ हर साल महाशिवरात्रि से 21 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी ,नारायण के मंदिरो मे पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को छूने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ जाती हैं।
महाशिवरात्रि के दौरान बहुत से श्रद्धालु सुल्तानगंज से कावंर मे गंगाजल भरकर 105 किलोमीटर पैदल चलकर और बोलबम का जयघोष करते हुआ वैघनाथ धाम पहुचते हैं।
देवघर के बाबा मंदिर को क्यों कहते हैं वैघनाथ धाम ?
पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैघनाथ धाम भी कहते हैं । कहा जाता हैं कि यहां पर आने वालो की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिगं को “कामना लिगं ” भी कहा जाता हैं।
वैघनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगो मे से एक हैं ,जो शिव का सबसे पवित्र मंदिर हैं।कहा जाता हैं भगवान शिव ने माता के ह्रदय के रक्षा के लिए उन्होंने यहाँ पर वैघनाथ नाम के भैरव को स्थापित किया था, इसलिए जब रावण शिवलिंग को लेकर यहां पहुंचा,तो भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने भैरव के नाम पर इस शिवलिगं का नाम वैघनाथ रख दिया।
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बाबा वैघनाथ की महीमा अपार
माना जाता है कि यहां के ज्योतिर्लिंग मे अपार शक्ति हैं। सभी भक्तगण यहां सच्चे मन से पूजा पाठ और ध्यान करने पर हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं सभी बड़े- बड़े महात्म जन मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां आते हैं । शास्त्रों के अनुसार यहां माता सती के ह्रदय और भगवान शिव के आत्मलिंग का सम्मिश्रण हैं।
कैसे पड़ा वैघनाथ धाम का नाम ?
मान्यता है कि शिवपुराण के शाक्ति इस बात का विस्तार से वर्णन किया गया है कि माता सती के शरीर के 52 खण्डों की सुरक्षा के लिए हर स्थान पर भैरव को स्थापित किया था देवघर मे माता सती का हदय गिरा था इसलिए इस हदय पीठ या शाक्ति पीठ भी कहते हैं। माता सती के हदय जिस स्थान पर गिरा था वहाँ वैघनाथ नाम के भैरव स्थापित था, इसलिए जब रावण शिवलिंग को लेकर यहाँ पहुंचा तो भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी ने इस शिवलिंग का नाम वैघनाथ रख दिया।
105 किमी पैदल चलकर भक्त करते है जलाभिषेक
सावन मे भक्त सुल्तानगंज से 105 किमी की दुखदायी पैदल यात्रा कर वैघनाथ धाम पहुचते हैं, और बाबा पर जलाभिषेक करते हैं यह प्रक्रिया पूरे एक महीना चलता हैं।
आस-पास दर्शनीय स्थल – Most Visiting Place Near Baidyanath Dham
त्रिकुट पहाड़ देवघर – Trikut Pahad Devghar
Trikut Pahad Devghar से 16 किमी दूर दुमकर रोड पर एक खूबसूरत पर्वत है, त्रिकुट के पर्वतो पर बहुत सारी गुफाएं और झरने है। त्रिकुट पहाड़ देवघर में सबसे रोमांचक पर्यटन स्थल में से एक है, जहां पर आप ट्रेकिंग, रोपेवे, वन्यजीवन एडवेंचर्स और एक सुरक्षित प्राकृतिक वापसी का आनंद ले सकते हैं।
नौलखा मंदिर देवघर – Naulakha Mandir Devghar
नौलखा मंदिर देवघर ( Naulakha Mandir Devghar ) का निर्माण बालानन्द ब्रह्मचारी के एक अनुयायी ने किया था जो शहर से 8 किमी दूर तपोवन मे तपस्या करते थे। तपोवन भी मंदिरो और गुफाओं से सजा एक आर्कषक स्थल है। देवघर के बाहरी हिस्से मे स्थित यह मंदिर अपने वास्तुशिल्प की खूबसूरती के लिए जाना जाता हैं।
नदंन पहाड़ – Nandan Pahar , Deoghar
नदंन पहाड़ की महत्ता यहाँ बने कई मंदिरो के समूह के कारण हैं। जो भगवानो.को समर्पित हैं। यहाँ के पहाड़ की चोटी पर कुंड भी हैं।
सत्संग आश्रम – Satsang Ashram, Deoghar
सभी धर्म के मंदिर के अलावा यहाँ पर एक सग्रहालय व चिडियाघर हैं। ठाकुर अनुकूलचन्द्र के अनुयायियों के लिए यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं।
पाथरोल काली माता का मंदिर – Pathrol Kali Mata Ka Mandir
मधुपुर मे एक प्राचीन भव्य काली मंदिर हैं जिसे “पाथरोल काली मंदिर ” के नाम से भी जाना जाता हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा दिग्विजय सिंह ने लगभग 6से 7 शताब्दी पहले करवाया था । मुख्य मंदिर के करीब नौ और मंदिर हैं।
देवघर बाबा वैघनाथ एक प्रसिद्ध पवित्र तीर्थ स्थल हैं ,जहाँ सावन मास प्रारंभ होने पर ही भगवान वैघनाथ के दर्शन के लिए उनके सभी भक्तों की कतार लग जाती हैं ,क्योंकि माना जाता हैं कि इस मास मे जो भी भक्त श्रद्धा व विश्वास और विधिविधान के साथ इनकी पूजा अर्चना करता हैं उसकी मनोकामना अतिशीघ्र पूर्ण हो जाता है ।
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