काशी विश्‍वनाथ मंदिर का इतिहास और दर्शन के लिए रखें कुछ बातो का विषेस ध्यान

History Of Kashi Vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध और सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है। यहाँ के मुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है। यह मंदिर भारत के एक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला में स्थित है। वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है। इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। बारह ज्योतिर्लिंग में प्रमुख काशी विश्वनाथ जहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजे हैं। मान्यता है कि पवित्र गंगा में स्नान और काशी विश्वनाथ के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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काशी विश्‍वनाथ मंदिर का इतिहास ( History Of Kashi Vishwanath Temple )

कशी विश्‍वनाथ मंदिर के इतिहास की बात करे तो ये सदियों पुरना है इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। इतना ही नहीं विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है। इस श्लोक से ‘काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:’ इस बात की पुष्टि होती है।

पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी। जहां श्रीहरिके आनंदाश्रु गिरे थे और वहां बिंदुसरोवर बन गया और इसलिए प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए।

काशी से जुडी एक कथा है कि जब भगवान शंकर ने क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया, तो वह उनके करतल ( हथेली ) से चिपक गया। बारह वर्षों तक अनेक तीर्थों में भ्रमण करने पर भी वह सिर उन से अलग नहीं हुआ। किंतु जैसे ही उन्होंने काशी की सीमा में प्रवेश किया, ब्रह्महत्या ने उनका पीछा छोड़ दिया और वह मस्तक भी अलग हो गया। जहां यह घटना घटी, वह स्थान कपालमोचन-तीर्थ कहलाया। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गया।

11वीं सदी और उससे पहले में ये मंदिर बहुत बार तोड़वाया गया और समय समय पर हिन्दू शाशको ने इसका मरम्त भी परवाया। ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का मरम्त करवाया था। उसका सम्राट विक्रमादित्य ने भी मरम्त करवाया था। उसे ही 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था।

इतिहासकारों के अनुसार इस सुन्दर और भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी द्वारा तोड़ा गया था। इस मंदिर को फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर से  सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह  ने इसे तोड़वा दिया। पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। इस विशाल मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी। सेना हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए।

काशी से जुडी पौराणिक कथा ( Mythology Of K ashi  )

एक अन्य कथा के अनुसार महाराज सुदेव के पुत्र राजा दिवोदासने गंगा-तट पर वाराणसी नगर बसाया था। एक बार भगवान शंकर ने देखा कि पार्वती जी को अपने मायके (हिमालय-क्षेत्र) में रहने में संकोच होता है, तो उन्होंने किसी दूसरे सिद्धक्षेत्रमें रहने का विचार बनाया। उन्हें काशी अतिप्रिय लगी। वे यहां आ गए। भगवान शिव के सान्निध्य में रहने की इच्छा से देवता भी काशी में आ कर रहने लगे। राजा दिवोदास अपनी राजधानी काशी का आधिपत्य खो जाने से बडे दु:खी हुए।

उन्होंने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान मांगा- देवता देवलोक में रहें, भूलोक (पृथ्वी) मनुष्यों के लिए रहे। सृष्टिकर्ता ने एवमस्तु कह दिया। इसके फलस्वरूप भगवान शंकर और देवगणों को काशी छोड़ने के लिए विवश होना पडा। शिवजी मन्दराचलपर्वत पर चले तो गए परंतु काशी से उनका मोह कम नहीं हुआ। महादेव को उनकी प्रिय काशी में पुन: बसाने के उद्देश्य से चौसठ योगनियों, सूर्यदेव, ब्रह्माजी और नारायण ने बड़ा प्रयास किया। गणेशजी के सहयोग से अन्ततोगत्वा यह अभियान सफल हुआ। ज्ञानोपदेश पाकर राजा दिवोदासविरक्त हो गए। उन्होंने स्वयं एक शिवलिंग की स्थापना करके उस की अर्चना की और बाद में वे दिव्य विमान पर बैठकर शिवलोक चले गए। महादेव काशी वापस आ गए।

काशी विश्‍वनाथ मंदिर घूमने का बढ़िया समय ( best time to visit kashi vishwanath temple )

सुगम दर्शन ( Sugam Darshan )

सुगम दर्शन मंदिर ट्रस्ट की ओर  से दिया जाने वाला पेड सेवा है जिसमे श्रद्धालु पैसे का भुकतान करके भारी भीड़ में भी आसानी से दर्शन कर लेता है। इस सेवा में एक पंडित आप को मिलते है और वो मंदिर दर्शन में आप की मदत करता है। मंदिर में  सुगन दर्शन का  समय सुबह 6:00 से लेकर शाम 6:00 तक का है। सुगम दर्शन प्रोग्राम में शामिल होने का फी 300 रु है।

आरती का समय ( Aarti  ka time )

काशी विश्‍वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अनुसार आरती का समय

Time Programme Amount Rs.
3:00 A.M. से  4:00 A.M. Mangla Aarti 350.00
(Normal Days only)
3:00 A.M. से 4:00 A.M. Mangla Aarti 1200.00
(Shravan Monday only)
3:00 A.M. से  4:00 A.M. Mangla Aarti 600.00
(Shravan days except Monday)
3:00 A.M. से 4:00 A.M. Mangla Aarti 1800.00
(Maha Shivratri day only)
11:15 A.M. से 12:20 P.M. Bhog/Aarti 180.00
7:00 P.M. से 8:15 P.M. Saptirishi Aarti 180.00
9:00 P.M. से 10:15 P.M. Night Shringar/Bhog Aarti 180.00
10:30 P.M. से 11 P.M. Night Shayan Aarti Free

काशी विश्‍वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ सवाल और उनके उत्तर ( FAQ )

  1. How much time does it take for Kashi Vishwanath Darshan? ( काशी विश्वनाथ दर्शन में कितना समय लगता है?  )
    Answer : काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए आपको एक सामान्य दिन में कम से कम 2-3 घंटे की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि आप किसी अन्य शुभ दिन के सोमवार को जा रहे हैं, तो इसमें कई घंटे लग सकते हैं। अन्यथा, एक बार जब आप मंदिर में प्रवेश करते हैं तो वे आपको कुछ मिनटों से अधिक समय तक अंदर नहीं जाने देंगे।
  2. What is the best time to visit Kashi? ( काशी घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है? )Answer : वाराणसी का दौरा करने का सबसे अच्छा समय सर्दी (नवंबर – फरवरी) है क्योंकि तापमान कम होता है और दिन भर शांत हवा रहती है। वाराणसी में ग्रीष्मकाल उच्च और शुष्क तापमान का अनुभव करता है। गर्मियों के मौसम से बचना सबसे अच्छा है क्योंकि वे गर्म शुष्क होते हैं और धूप में घर के बाहर सैर करना मुश्किल हो जाता है।
  3. How can I go to Kashi Vishwanath temple? ( मैं काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे जा सकता हूं? )
    Answer :
    विश्वनाथ गली काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे आसान और सबसे बेहतर मार्ग है। वाराणसी में कई रेलवे स्टेशन हैं। जबकि वाराणसी सिटी स्टेशन मंदिर से केवल 2 किलोमीटर दूर है, वाराणसी जंक्शन लगभग 6 किलोमीटर दूर है।
  4. What is Suhgan Darshan? सुगन दर्शन क्या है?
    उत्तर : सुगम दर्शन विशाल भीड़ (जो कि हर बार होता है) से बचने के लिए एक प्रारंभिक दर्शन है। … सुगम दर्शन एक टिकट-आधारित दर्शन है जहाँ आप विशाल कतारों से बचते हैं और एक पंडित जी आपके साथ सहज दर्शन और प्रसाद के लिए जाते हैं।
  5. Is Mobile allowed in Kashi Vishwanath? ( क्या काशी विश्वनाथ में मोबाइल की अनुमति है? )
    Answer : Visitors को सेल फोन, कैमरा, धातु की बाल्टियाँ, जूते, सिगरेट, और लाइटर लेकर मंदिर परिसर में ले जाने की अनुमति नहीं है।

काशी विश्वनाथ मंदिर फोटो

काशी विश्वनाथ मंत्र ( mantra ) और श्लोक ( shlok  )

 ” ओम् नमः शिवाय ”  मंत्र का जाप करें।

काँवर भोजपुरी गीत 2020 – Kanwar Bhojpuri Geet 2020 

 

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Vinay Kumar: