अपना घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र के इस 13 टिप्स का रखे ध्यान, घर में सदैव सुख-शान्ति बनी रहेगी।

13 inportant tips of vastu shastra

वास्तु शास्त्र एक ऐसा भारतीय शास्त्र है जो प्राचीन काल से भारत मे अपना अस्तित्व बनाये हुआ हैं। प्राचीन समय से ही वास्तु शास्त्र कीअत्यंत महत्व बनी हुई हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने से घर मे हमेशा सुख-शान्ति बनी रहती हैं।घर का निर्माण कैसे,किस तरह और किस दिशा मे होना चाहिए।ये वास्तु शास्त्र को भली-भाँति पता हैं।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाने से घर मे किसी प्रकार का दोष उत्पन्न नहीं होता।

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वास्तु शास्त्र को ध्यान मे रखकर घर बनाने से आपके घर का हर कोण दिशा के अनुकूल बनता हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण तथ्य हैं कि आपके घर मे सकारात्मक ऊर्जा का प्रहाव रहता हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसारघर न बनवाने से घर का कोण दिशा के अनुकूल नहीं होगा,व आपके घर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रहाव होगा।वास्तु विज्ञान कहता हैं कि कई बार व्यक्ति की सुख-शान्ति की बाधा की वजह वास्तु होता है वास्तु सम्बंधित भूल होने पर व्यक्ति को मानसिक रूप से पीड़ित और आर्थिक रूप से परेशान रहता हैं।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दिशा का महत्व

Importance of direction of house according to Vastu Shastra in hindi 

घर का निर्माण करवाते समय वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए। वास्तु के अनुसार 9 दिशा होती है लेकिन उसमें से एक मध्य दिशा होती है जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती हैं । वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा कैरियर से, दक्षिण-पश्चिम दिशा ज्ञान और बुद्धिमत्ता से सबंधित होती हैं। इसके अनुसार पश्चिम दिशा घर की मनुष्यो के पारिवारिक जीवन से सबंधित,उत्तर दिशा समाज मे बने सम्मान से , उत्तर पश्चिम दिशा का सबंध धन और समृद्धि से होता हैं।

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शास्त्र के अनुसार, उत्तर पूर्व दिशा प्यार और पति-पत्नी के रिश्ते से, घर कि पूर्व दिशा का सबंध बच्चों से होता हैं। घर का वास्तु ऐसा होने पर सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है। दिशाओं के साथ वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा वास्तु शास्त्र मे दिशाओं का बड़ा महत्व हैं। दिशाओं के साथ वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा इस प्रकार बनवाये कि जिससे घर मे सुख-शांति व समृद्धि बनी रहे।

:- घर का मुख्य द्धार-( पूर्व या उत्तर दिशा )सूर्योदय कि दिशा होने की वजह से इस तरफ से सकारात्मक व ऊर्जा से भरी किरणे हमारे घर मे प्रवेश करती हैं। अपने बच्चे के सुख के लिए व घर के मालिक के सुख-समृद्धि के लिए घर के मुख्य द्धार और खिड़की सिर्फ पूर्व य उत्तर दिशा मे होना शुभ माना जाता हैं।

:- वास्तु के अनुसार देवताओं को किस दिशा मे रखें –(उत्तर-पूर्व दिशा ) देवताओं की दिशा कभी नही बदलनी चाहिए। घर मे पूजा का स्थान सबसे महत्त्वपूर्ण होता हैं। वास्तु के अनुसार देवी-देवताओं के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा अच्छी मानी जाती हैं। पूजा घर से सटा हुआ या उसके ऊपर शौचालय नहीं बनवाना चाहिए क्योंकि ईशान दिशा के नाम से जानी जाने वाली यह दिशा जल की दिशा होती हैं।

:- वास्तु के अनुसार रसोई की दिशा – वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई अग्नि देवता से सम्बंधित हैं। रसोई के लिए आग्नेय कोण और दक्षिण पूर्वी दिशा अच्छा माना जाता हैं।

:- वास्तु के अनुसार पानी के टैंक की दिशा- वास्तु के नियम के अनुसार पानी की टैंक जमा करके रखने की दिशा ईशान कोण अच्छी मानी जाती हैं। यह उत्तर पूर्व दिशा मे होता हैं।

:- वास्तु के अनुसार पूजा घर- पूजा घर वास्तु के नियम के अनुसार ईशान कोण मे होना चाहिए ।

:- वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा – शौचालय की दिशा नैत्रत्य कोण होता हैं इस लिए शौचालय मकान के इस दिशा मे बनवाना चाहिए।

:- घर की दिशा कौन सी हो- घर के सुखा-शान्ति व समृद्धि और सुकून के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा तय करना चाहिए। घर के लिए पूर्व दिशा ,ईशान व उत्तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती हैं। घर के लिए आग्नेय व नैऋत्य दिशा अशुभ होती है।

:- घर कैसा हो- घर हमेशा वास्तु शास्त्र के सहायता से बनवाना चाहिए जिससमे खुद की छत हो, चन्द्र व गुरु से युक्त घर मे पौधा हो। कोई भी ऐसा वस्तु न रखें जिससे की वास्तु दोष उत्पन्न हो।

:- कैसा होना चाहिए भूमि का ढाल- भूमि की ढाल हमेशा पूर्व,उत्तर और ईशान दिशा की तरफ होना चाहिए,भूमि की चयन इसी के अनुसार करना चाहिए।वास्तु के अनुसार लिया भूमि सुख -शान्ति व समृद्धि का प्रतीक होता हैं।

:- कहाँ बनाये घर? घरहमेशा मंदिर के निकट या थोड़ी दूरी पर हो तो शुभ माना जाता हैं। मकान हमेशा पहाड़ के उत्तर की होना चाहिए। शहर की पूर्व ,पश्चिम और उत्तर दिशा घर के लिए सही हैं।

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वास्तु शास्त्र के इन 13 टिप्स का रखे विशेष ध्यान

Important 13 Tips of Vastu Shastra in hindi

वास्तु के अनुसार सभी मनुष्यो को घर बनवाना चाहिए जिससे उसे अनेक प्रकार का लाभ प्राप्त हो ।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाने से सुख-शान्ति बनी रहती हैं और वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाने से हम वास्तु दोष से भी बच सकते हैं,जिससे घर मे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती हैं।

  1. सभी मनुष्यो को कहीं पर भी घर निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व भूमि पूजन करवाना चाहिए।
  2. पूर्व या उत्तर दिशा आपके घर के मुख्य द्धार के लिए शुभ होता हैं। घर के मुख्य द्धार पर ऊँ ,स्वास्तिक जैसे शुभ चिन्हों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ।
  3. घर बनवाते समय थोड़ी सी जगह घर के आँगन कज बनवाने के लिये अवश्य होनी चाहिए।
  4. तुलसी, नीम,अमला जैसे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले पौधों को घर मे जरूर लगाना चाहिए।तुलसी का पौधा हवा को शुद्ध,रोगों से दूर रखता हैं।अनार का पौधा वातावरण को सकारात्मक बनाये रखने मे मदद करता हैं,नीम का पौधा रोग व शोक से मुक्त रहने के लिए होता हैं।
  5. आमला का पौधा समय से पहले बूढ़ा और कमजोर नहीं होने देता इस लिए इस पौधे को जरूर लगाना चाहिए।
  6. घर मे हमेंशा टाँयलेट व स्नान गृह अलग बनवाना चाहिए एक मे होने से घर मे कलेश उत्पन्न होता हैं।
  7. नल का निर्माण स्नान गृह मे हमेशा उत्तर या पूर्व दीवार के तरफ होना चाहिए।
  8. बाथटब मे नहाते वक्त व्यक्ति की पैर दक्षिण दिशा की ओर न रहे।
  9. मकान निर्माण के प्रक्रिया मे पूर्व दिशा मे स्नान गृह बनवाना चिवाशबेसिनव दर्पण उत्तरी दीवार या पूर्वी दीवार पर लगवाना चाहिए।
  10. नल से टपकते पानी को वास्तु शास्त्र के अनुसार अच्छा नहीं माना गया हैं।
  11. घर मे पूजा घर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसके होने से घर मे सुख-शान्ति बनी रहती हैं।ईशान कोण मे पूजा घर बनवाना उचित माना गया हैं।
  12. घर के पूजा घर मे मूर्तियाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार रखना चाहिए।
  13. पूजा घर कभी भी शयनकक्ष मे नहीं होना चाहिए मूर्ति को रखने कि दिशा पूर्व दिशा ही सही दिशा हैं।

बेडरूम का वास्तु ( Vastu Of Bedroom )

शयनकक्ष महत्वपूर्ण स्थान हैं जिसके कारणा हमेशा शान्ति व सुकून बना रहता हैं।शयनकक्ष की स्थान सही न होने पर आपको नींद नहीं आती हैं।शयनकक्ष कोख बनवाते समय कुछ विशेष बातों को ध्यान मे रखना चाहिए जैसे-

• शयनकक्ष हमेशा दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा मे होना चाहिए।
• इंसान का पैर सोते समय दक्षिण दिशा की ओर नही होना चाहिए व उसका सर दीवार से सटा होना चाहिए।
• इंसान का पैर सोते समय उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए।
• शयनकक्ष वाले स्थान के दीवारों को हमेशा हल्के रंगों से रंगे।
• सोने के लिए पंलग लकड़ी का होना चाहिए।लोहे के पंलग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अध्ययन कक्ष का वास्तु ( Vastu Of Study Room )

घर बनवाते समय अध्ययन कक्ष के दिशाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि अध्ययन कक्ष बच्चों के लिए अति आवश्यक हैं।

• अध्ययन कक्ष वास्तु के अनुसार पूर्व,उत्तर,ईशान और पश्चिम दिशा मे यह कक्ष बनवाना चाहिए ।
• अध्ययन करते समय हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिवार से सटकर बैठना चाहिए ।
• अध्ययन के समय आपका मुख उत्तर और पूर्व दिशा मे होना चाहिए।
• अध्ययन कक्ष के दीवारो का रंग हल्का हरा,बादामी रंग,हल्का आसमानी रंग,सफेद रंग इस कमरे के लिए उचित हैं।

रसोईघर का वास्तु ( Vastu Of Kitchen )

रसोई घर सबसे महत्वपूर्ण होता हैं क्योंकि सभी व्यक्तियो के जीवन के लिए ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ,इस लिए इसकी दिशि का विशेष ध्यान रखना चाहिए-

• रसोईघर के लिए सबसे अच्छी दिशा आग्नेय कोण या दक्षिण पूर्वी दिशा ,उत्तर पश्चिम दिशा होती हैं।
• मनुष्यो को भोजन करते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व की ओर करना चाहिए।
• भोजन बनाने वालें इंसान का मुख पूर्व दिशा मे होना चाहिए।
• रसोईघर के दीवारो का रंग हरा ,पीला , गुलाबी और क्रीम रंग अच्छा होता हैं।काले रंग का प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए
• पीने का पानी रखने के लिए उत्तर पूर्व दिशा उचित हैं।
• गैस दक्षिण पूर्व दिशा मे रखना उचित हैं। पूजा का स्थान रसोईघर मे नहीं होना चाहिए।

ड्रांइग रूम का वास्तु ( Vastu of drawing room )

कहते हैं कि मेहमान भगवान का रुप होते हैं जिनका सादर-सत्कार इसी स्थान पर। होता हैं। इस लिए इस कमरे के दिशा पर विशेष ध्यानरखना चाहिए-

• ड्रांइग रूम के सभी भारी समान दक्षिण पश्चिम दिशा मे रखना चाहिए।
• मालिक का मुख बैठते समय इस कमरे मे उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
• इस कमरे मे टीवी अग्निकोण दिशा मे लगना चाहिए ।
• कमरे का रंग हरा,हल्का नीला,आसमानी,पीला या क्रीम रंग अच्छा माना जाता हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा ( House map according to vastu shastra )

घर के नक्शे मे घर का मुख्य द्धारचार दिशाओं मे से एक दिशा मे होना चाहिए।

• घर के आगे पीछे आँगन बनवाना चाहिए और उसमें तुलसी का पेड़ लगाना चाहिए।
• चौराहा या तिराहा घर के आसपास नहीं होना चाहिए।
• घर के दरवाजे पर शुभ व लाभ लिखना चाहिए।
• स्वास्तिक,ऊँ जैसे शुभ चिन्हों को घर के मुख्य द्वार पर लगाये ।
• अधिक मूर्तियाँ घर मे नहीं रखना चाहिए।
• मंदिर के आसपास घर होने से सकारात्मक ऊर्जा आती हैं।
• घर के ऊपर केसरिया रंग का ध्वज लगा के रखना चाहिए।
• कबाड़ो को घर मे कहीं भी इकट्ठा न करें इससे नकारात्मक ऊर्जा आती हैं।

इस तरह हम वास्तु शास्त्र का उप्रयोग करके सभी लोग अपने घरों मे सुख-शान्ति व समृद्धि ला सकते हैं ।वास्तु शास्त्र का इस्तेमाल करके हम अपने जीवन मे सभी प्रकार के दोषो से मुक्ति पा सकते हैं।

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