जानिए रंग रंगीला बैसाखी त्योहार कब और कैसे मनाई जाती है ?

जानिए रंग रंगीला बैसाखी त्योहार कब और कैसे मनाई जाती है ?

baisakhi festival date of 2020

इस बार का बैसाखी त्योहार 13 अप्रैल 2020 दिन सोमवार को मनाया जाता है।

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बैसाखी पर्व का इतिहास ( history of baisakh )

बैसाखी हमारे देश का एक राष्ट्रीय त्योहार है। जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। ये रंग-रंगीला पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है।

इंडिया भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। हमारे देश के किसान इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है इसलिए इसे खेती का पर्व भी कहा जाता है। कृषक इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है।

हम आप को बता दे ये पर्व केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी बैसाखी पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व ( bihu festival ) मनाया जाता है।

उत्तर भारत में विशेष कर पंजाब के लोग बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है। ढोल-नगाड़ों की धुन पर युवक-युवतियां इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं और एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं। इतना ही नहीं झूम-झूमकर नाच उठते हैं। अतः हम आप को बता दे को बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है। साथ ही वह याद दिलाती है उस भाई चारे की जहां माता अपने दस गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।

जैसा की आप जानते है भारत में महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं। बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस प्रकार वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया। बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अतः इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।

बैसाखी पर्व कुछ ख़ास बाते :

बैसाखी पर्व बहुत ही पुराना पर्व है हम आप बता दे की सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसका ‘खालसा’ खालिस शब्द से बना है। जिसका अर्थ- शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा-पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था।

बैसाखी पर्व के मुख्य पकवान ( baisakhi special food)

इनमें छोले भटूरे, पीपली चवाल (नमकीन पीले चावल), सरसो की साग के साथ मक्की की रोटी, मीठी लस्सी या छाछ, गुड़ का हलवा (गुड़ का हलवा, चावल के साथ पंजाबी कढ़ी पकोड़ा) शामिल हैं।

पीले चावल ( Pile chawal ) : यह बैसाखी पर्व का सबसे महत्वपूर्ण और अधिक बनने वाले पकवान है। बैसाखी के त्योहार पर बनने वाले पीले चावल को मीठे चावल और केसरी चावल के नाम से भी जानते हैं। इस डिश का बैसाखी और बसंत पंचमी पर बड़ा महत्व है। मीठा चावल चीनी और चावल के मिश्रण से बनता है। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए इलायची, दालचीनी, लौंग और सूखे मेवों से पकाया जाता है। सबसे आखिरी में इसमें केसर मिलाया जाता है।

पंजाबी कढ़ी ( Panjabi kadhi ) : हम आप को बता दे बैशाखी के मौके पर पंजाबी कढ़ी न बने ऐसा हो ही नहीं सकता है। खट्टे दही से बनने वाली इस कढ़ी में जब मसालों का तड़का लगता है तो इसका स्वाद ही लाजवाब हो जाता है। बैसाखी पर जब पंजाबी कढ़ी को लोग चावल के साथ खाते है।

छोले-भटूरे : छोले-भटूरे छोले-भटूरे का नाम आते ही मुंह में पानी आने लगता है।

खीर  :  कोई भी त्योहार बिना खीर के अधूरा लगता है। यदि मीठे पकवानों में खीर हो तो मन खुश हो जाता है।

लस्सी : बैसाखी के समय गर्मी का मौसम होता है। इसलिए लस्सी हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है। लस्सी को अलग-अलग फ्लेवर में बना सकते हैं।

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बैसाखी के मौके पर जुड़े अपने परिवार , दोस्त , और अपने पड़ोसियों से और भेजे Sms शेयर करे whatsapp status और facebook status , Happy Baisakhi 2020 Images and wishes :

बैसाखी का खुशियों मौका है,
ठंडी हवाओ  का  झोंका है,
पर तेरे बिन अधूरा है सब,
लौट कर आ जाओ हमने खुशियों को रोका है…
बैसाखी की शुभकामनाएं।

सुबह से शाम तक वाहेगुरू की कृपा,
ऐसे ही गुजरे हर एक दिन,
न कभी हो किसी से गिला-शिकवा,
एक पल न गुजरे खुशियों बिन..

खालसा मेरो रूप है खास,
खालसे में करूं निवास,
खालसा मेरा मुख हैं अंगा,
खालसे के साजना दिवस की
आप सब को बधाई!!

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