Maharana Pratap Jayanti 2021 : 9 मई 2021 आज का दिन ही महाराणा प्रताप जंयती के रूप में मनाया जाता है।
महाराणा प्रताप जीवन परिचय
महाराणा प्रताप ( Maharana Pratap ) एक महान बहादुर सपूत,महान योद्धा और अलौकिक शौर्य वाले थे।महाराणा प्रताप एक महान योद्घा थे,जिनकी वीर गाथा अमर हैं।इनकी वीर-गाथा किस्से-कहानियों मे सुनाई जाती हैं। इनकी वीरता से भारत भूमि गौरवान्वित हैं जिससे सभी देश परिचित है।वह तत्कालीन समय मे इकलौते ऐसे वीर थे,जिन्हें दुश्मन भी सलाम करते हैं।
महाराणा प्रताप जयंती 9 मई को मनाया जाता हैं क्योंकि इस महान वीर सपूत का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान राज्य के मेवाड़ के राजपूत परिवार मे हुआ था। प्रताप ऐसे योद्धा थे,जो कभी भी मुगलो के आगे नही झुके और उनका संघर्ष इतिहास मे अमर हैं। महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिन्दू शासक थे। सोलाहवीं शताब्दी के राजपूत शासको मे महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे,जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे।भारत का हर बच्चा उनके बारे मे पढतें हुए बड़ा हुआ हैं।
महाराणा प्रताप के पिता का नाम राणा उदय सिंह था और माता का नाम जयवंता बाई था,और इनके पत्नी का नाम अजबदे पुनवार था। इनके दो पुत्र थे,जिनका नाम अमर सिंह और भगवान दास था। महाराणा प्रताप जिस घोड़े पर सवारी करते थे वह अत्यंत चतुर और अपने स्वामी के तरह ही योद्धा भी था। जिसका नाम चेतक था।महाराणा प्रताप बचपन से युद्ध मे कौशल व तेजस्वी थे। महान योद्धा होने के बावजूद भी वे धर्म परायण और मानवता के पुजारी थे। इन्होंने माता जयवंता को अपना पहला गुरु माना था।
महाराणा प्रताप का जन्म व जन्म स्थान
महाराणा प्रताप एक महान योद्धा थे,जिनका जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान राज्य के मेवाड़ के राजपूत परिवार मे हुआ था। महाराणा प्रताप के जन्मस्थान के प्रश्न पर दो मत हैं।
पहला मत ये हैं कि महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग मे हुआ था। क्योंकि उनके माता व पिता का विवाह कुम्भलगढ़ महल मे हुआ था।
दुसरी मत ये हैं किमहाराणा प्रताप का जन्म पाली मे सोनगरा अखैराज की पुत्री थी।महाराणा प्रताप को बचपन से ही कीका के नाम से बुलाया जाता था। कीका का अर्थ बेटा होता है,क्योंकि ये नाम उन्हें युवावस्था मे भीलों से मिला था। भीलों मे कीका का अर्थ बेटा होता हैं।लेखक विजय नाहर की पुस्तक हिन्दुवा सूर्य महाराणा प्रताप के अनुसार जब प्रताप का जन्म हुआ, तब उनके पिता अत्यंत असुरक्षा से घिरे थे।
क्यों मनाया जाता हैं महाराणा प्रताप जयंती?
महाराणा प्रताप एक महान योद्धा थे, जो पूरे सामर्थ के साथ अपने दुश्मन से युद्ध करते थे। वे अपने प्रजा से अत्यधिक प्रेम करते थे। वे एक योद्धा होने के साथ-साथ धर्म परायण और मानवता के पुजारी थे, वे हमेशा सबकी मदद करते थे। महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे जो अपने छोटे से सेना के साथ युद्ध करते थे अकबर की इतनी बड़ी सेना को देखकर भी वो घबराये नही और पूरे हौसले के साथ उनसे लड़ते थे।
प्रताप एक ऐसे राजा थे जो अकबर के सामने कभी नहीं झुके, स्वयं अकबर भी उनकी काबलियत व गुणों की प्रशंसा करते थे । महाराणा प्रताप कभी भी अकबर के अधीनता को स्वीकार नहीं किया और लगातार लड़ते रहे। इनके इसी गुणों व काबलियत के कारण लोग इन्हें अत्यधिक प्रेम करते थे जिनकी याद मे आज भी लोग अत्यंत हर्ष एवं उल्लास के साथ महाराणा प्रताप जयंती मनाते हैं।
महाराणा प्रताप जयंती का महत्व
राजस्थान के वीर सपूत, महान योद्धा और अद्भुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती अग्रेंजी कैलेण्डर के अनुसार 9 मई, 1540 को मनाया जाता हैं। राजस्थान मे राजपूत समाज का एक तबका परिवार उनका जन्मदिन हिन्दू तिथि के हिसाब से मनाती हैं।
महाराणा प्रताप के महत्वपूर्ण युद्ध
महाराणा प्रताप व अकबर के मध्य हल्दीघाटी का युद्ध-
यह युद्ध 16 जून 1547 ईस्वी मे मेवाड़ तथा मुगलों के मध्य हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व उन्होंने स्वयं किया थि।भील सेना के सरदार राणा पूंजा भील थे जो एकमात्र महाराणाश प्रताप की तरफ से लड़ने वाले मुस्लिम सरदार थे जिनका नाम हकीम खाँ सूरी था।मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह तथा आसफ खाँ ने किया। इस युद्ध का आखों देखा वर्णन अब्दुल कादिर बदायूंनी ने किया।
इतिहासकार मानते हैं कि इस युद्ध मे कोई विजय नहीं हुआ लेकिन सभी लोग प्रताप मानते हैं कि महाराणा प्रताप इस युद्ध मे विजयी हुए थे । महाराणा प्रताप के शासनकाल मे सबसे रोचक तथ्य यह हैं कि मुगल सम्राट अकबर बिना युद्ध के प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था इस लिए उसने अपने राजदूत भेजा जिसे प्रताप न निराश किया, इस तरह महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप ह हल्दी घाटी का ऐतिहासिक युद्ध हुआ।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1- महाराणा प्रताप के पिता ने युद्ध की नयी पद्धति छापा मार युद्ध प्रणाली इजाद की। जिसका प्रयोग उन्होंने स्वि नहीं किया बल्कि मुगलों को हराने के.लिए सभी योद्धा ने इसका प्रयोग किया था।
2-.महाराणा प्रताप को लेकर एक सबसे अधिक कहीं जाने वाली बात ये भी हैं कि उनके भाले का वजन 81 और छाती के कवच का वजन 72 किलो था।
3- कहा जाता हैं कि महाराणा प्रताप का सवारी का नाम चेतक था और वह बहुत वीर तथा चतुर था।
4- अकबर ने राणा प्रताप को कहा था कि अगर तुम हमारे आगे झुकते हो तो आधा भारत आपका होगा लेकिन फिर भी उन्होंने अधीनता स्वीकार नहीं किया ।
5- 1596 मे शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए । 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु मे चावड़ मे उनका देहांत हो गया।
महाराणा प्रताप सिसोदिया राजवंश के 54 वे शासक कहलाते हैं।महाराणा प्रताप के काल मे दिल्ली पर अकबर का शासन और अकबर की नीति हिन्दू राजाओं की शक्ति का उप्रयोग कर दुसरे हिन्दू राजा को अपने नियंत्रण मे लेना था,लेकिन राणा प्रताप ने कभी भी अकबर के सामने घुटने नहीं टेके इस लिए खुद अकबर उनकी प्रशंसा करते थे ।उनके मौत के 450 से अधिक वर्ष बीतने के बाद भी महाराणा प्रताप को बहादुरी का प्रतीक माना जाता हैं।