Mahavir Jayanti 2024

Mahavir Jayanti

कई जगहों पर इस दिन शोभयात्राएं भी निकाली जाती हैं। इस बार यह पर्व रविवार, 21 अप्रैल 2023 को   मनाया जाएगा। इस पर्व के खास अवसर पर लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेजते हैं।

देश में महावीर जयंती कई राज्यों में उत्सव की तरह मनाया जाता है। यही नहीं इस दिन कई राज्यों में शोभयात्रा निकाली जाती है जिसमें हजारों की तदाद में लोग हिस्सा लेते हैं।

जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व महावीर जयंती धूम-धाम से मनाया जाता है। महावीर जयंती का पर्व स्वामी महावीर के जन्मदिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी में मनाया जाता है। इसलिए उनके जन्मदिन पर पर ये पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को लोग एक उत्सव की तरह मनाते हैं।

जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार स्वामी महावीर का जन्म बिहार के कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। भगवान महावीर को बचपन में वर्धमान नाम से पुकारा जाता था। महावीर 30 साल के थे जब उन्होंने घर छोड़ दिया और दीक्षा लेने चले गए थे। दीक्षा लेने के बाद महावीर 12 साल तक तपस्या की। कहा जाता है कि भगवान महावीर के दर्शन के लिए भक्तों को उनके सिद्धांतों का पालन करना जरूरी होता है। महावीर स्वामी सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा है। यही नहीं उनके हर भक्तों को अहिंसा के साथ, सत्य, अचौर्य, बह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक होता है।

बेहद कम उम्र में घर त्याग करने वाले स्वामी महावीर अपने सिद्धांत के बेहद पक्के थे। कहा जाता है कि महावीर अपने सिद्धांत में समर्पण का भाव सबसे अहम था। उनका मानना था कि किसी से मांग कर,प्रार्थना करके या हाथ जोड़कर धर्म हालिस नहीं किया जा सकता। महावीर मानते थे कि धर्म कोई वस्तु नहीं जो मांगने से मिलेगी इसे खुद धारण करना होता है। धर्म जीतने से मिलता है, जिसके लिए संघर्ष बेहद जरूरी है। महावीर भक्ति में नहीं ज्ञान और कर्म में भरोसा रखते थे। स्वामी महावीर के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि आत्मा की दुष्प्रभावों को अगर निकाल दे तो किसी को जीतने में अधिक कठिनाई नहीं आएगी। सबसे पहले खुद को महान बनाए जिसके लिए अंतर्मन के दुष्प्रभावों से जीतना बहुत जरूरी है।

कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती

भारत में कई राज्यों में जैन धर्म को मानने वाले लोग हैं लेकिन राजस्थान और गुजरात में इसकी तदाद सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं। इसलिए इन राज्यों में इस पर्व को महापर्व की तरह मनाया जाता है। इस दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। जिसके बाद मूर्ति को रथ में बैठाकर शोभयात्रा निकाली जाती है। इस शोभयात्रा में जैन धर्म के अनुयायी हिस्सा लेते हैं। जगह जगह पंडाल लगाए जाते है जिसके तहत जरूरतमंदों और गरीब लोगों की मदद की जाती है

Spread the love
Vinay Kumar:

This website uses cookies.