जानिए कैसे बनता है कुंडली में मांगलिक दोष
जब किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह का दुस्प्रभाव नजर आता है साथ ही उसकी स्थति पहले, दुसरे, चौथे, सातवे, आठवे तथाबारहवें भाव में है तो मांगलिक दोष कहा जाता है| इनके आलावा सभी भावो में भी मंगल अलग तरीके से अच्छे बुरे प्रभाव दे सकता हैपरन्तु उसे मांगलिक दोष नहीं कहेगे|
क्या है मांगलिक दोष, कब बनता है कुंडली में
मुख्यतः मांगलिक दोष को शादी के लिये सही नहीं मन जाता है लेकिन शादी के अलावा मांगलिक दोष जीवन के दूसरे पहलुओं को भी प्रभावित करता है|
पहले, दुसरे, चौथे, सातवे, आठवे तथा बारहवें इन छ: भावो में मंगल किस प्रकार विवाह और जीवन के दूसरे पक्षों में समस्याए उत्पन्नकरता है!
इस वजह से मांगलिक दोष होते हुए भी व्यक्ति नहीं कहलाता मांगलिक-
जब कुंडली में मंगल आठवें और बारहवें भाव में होता है तो ही मंगल अपना दुष्प्रभाव दिखाता है| इसके अलावा पहले, चौथे और सातवेंभाव में मंगल ज्यादा दुष्प्रभावी नहीं है|
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मंगल ग्रह कुंडली में किसी और ग्रह के साथ रहना पसंद नहीं करता| यही कारण है कि मांगलिक व्यक्ति को मांगलिक लोगों से ही शादीकरनी चाहिए|
मंगल दोष या मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के उपाय है
- बजरंगबली कि नियमित उपासना।
- यह मंगल के हर तरह के दुष्प्रभावको निष्फल करने में सहायक है।