Pradosh Vrat: Shiv Pujan is done in Pradosh Vrat.  Best day for pradosh vrat is sunday, monday, tuesday, wednesday, thursdaym saturday.

हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है। सप्ताह केसातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है

Pradosh vrat Tithi 2020

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष) होते हैं।

Pradosh vrat Benfits & Importance

प्रदोष व्रत के विषय में कहा गया है कि अगर

  1. रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे।
  2. सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलितहोती है।
  3. मंगलवार कोप्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं।
  4. बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होतीहै।
  5. बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है। शुक्र प्रदोष व्रत सेसौभाग्य की वृद्धि होती है।
  6. शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है

Story of Pradosh Vrat

इस व्रत के महात्म्य को गंगा के तट पर किसी समय वेदों के ज्ञाता और भगवान केभक्त सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को सुनाया था। सूतजी ने कहा है कि कलियुग में जब मनुष्य धर्म के आचरण से हटकर अधर्म की राह पर जा रहा होगाहर तरफ अन्याय और अनाचार का बोलबाला होगा। मानव अपने कर्तव्य से विमुख होकर नीच कर्म में संलग्न होगा उस समय प्रदोष व्रत ऐसा व्रत होगा जो मानव को शिव की कृपा का पात्र बनाएगा और नीच गति से मुक्त होकर मनुष्य उत्तम लोकको प्राप्त होगा।

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सूत जी ने शौनकादि ऋषियों को यह भी कहा कि प्रदोष व्रत से पुण्य से कलियुग में मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाएंगे। यह व्रत अति कल्याणकारी है इस व्रत के प्रभाव से मनुष्यको अभीष्ट की प्राप्ति होगी। इस व्रत में अलग अलग दिन के प्रदोष व्रत सेक्या लाभ मिलता है यह भी सूत जी ने बताया। सूत जी ने शौनकादि ऋषियों कोबताया कि इस व्रत के महात्मय को सर्वप्रथम भगवान शंकर ने माता सती कोसुनाया था। मुझे यही कथा और महात्मय महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया और यह उत्तम व्रत महात्म्य मैने आपको सुनाया है।

Pradosh Vrat Vidhi

प्रदोष व्रत विधानसूत जी ने कहा है प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में महादेव भोले शंकरकी पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।

NameDates 2020Day
1.       Pradosh Vrat08 JanuaryWednesday
2.       Pradosh Vrat22 JanuaryWednesday
3.       Pradosh Vrat07 FebruaryFriday
4.       Pradosh Vrat21 FebruaryFriday
5.       Shani Pradosh Vrat07 MarchSaturday
6.       Pradosh Vrat22 MarchSunday
7.       Soma Pradosh Vrat06 AprilMonday
8.       Soma Pradosh Vrat20 AprilMonday
9.       Bhauma Pradosh Vrat05 MayTuesday
10.   Pradosh Vrat20 MayWednesday
11.   Pradosh Vrat04 JuneThursday
12.   Pradosh Vrat19 JuneFriday
13.   Pradosh Vrat03 JulyFriday
14.   Shani Pradosh Vrat18 JulySaturday
15.   Shani Pradosh Vrat01 AugustSaturday
16.   Soma Pradosh Vrat17 AugustMonday
17.   Soma Pradosh Vrat31 AugustMonday
18.   Bhauma Pradosh Vrat29 SeptemberTuesday
19.   Pradosh Vrat15 OctoberThursday
20.   Pradosh Vrat29 OctoberThursday
21.   Pradosh Vrat13 NovemberFriday
22.   Shani Pradosh Vrat28 NovemberSaturday
23.   Shani Pradosh Vrat12 December

 

Saturday
24.   Pradosh Vrat

 

27 December

 

Sunday
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