Sawan Ka Somwar 2023 Date
सावन का पहला सोमवार कब होगा? सावन का अंतिम सोमवार कब होगा? इस बार कुल सावन में कितने सोमवार व्रत होंगे?
- सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई 2023 से शुरू है 31 जुलाई 2023 को खतम हो रहा है बार सावन का सोमवार केवल चार होगा।
Kab Se Shuru Hai Sawan Ka Somwar – कब से शुरू है सावन का सोमवार
भगवान शिव के सभी भक्तो में सावन के महीने का बहुत ही बेसब्री से इंतजार होता है। Kab Se Shuru Hai Sawan Ka Somwar इस बात की जानकारी का बहुत इच्छा होती है। इस बार के श्रावण महीने में चार सोमवार के दिन है। हम आप को बता दे की सावन का सोमवार के त्योहार को लोग अलग – अलग स्थानों और प्रांतो में भिन्न-भिन्न तिथि पर मनाई जाती है-
- पहला सावन सोमवार 2023 – 10 जुलाई 2023
- दूसरा सावन सोमवार 2023 – 17 जुलाई 2023
- तीसरा सावन सोमवार 2023 – 24 जुलाई 2023
- चौथा सावन सोमवार 2023 – 31 जुलाई 2023
सावन का सोमवार ( sawan ka somwar ) हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है और श्रावण को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का सबसे पवित्र महिना माना जाता है। श्रावण को बोल-चाल की भाषा मे सावन भी कहते है। Sawan ka somwar भगवान शंकर के सबसे प्रिय दिन माना जाता है।सावन माह मे शिव के भक्त विश्वास तथा भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं।
अगर आम भाषा में कहु तो सावन का सोमवार के बारे में ऐसे भी कहा जा सकता है ” हिन्दू कैलेंडर के श्रावण महीने में आने वाले साप्ताहिक सोमवार का दिन Sawan ka somwar कहलाता है। ” सावन के सभी सोमवार के दिन शिव मंदिरो में बहुत ही ज्यादा भीड़ होती है। भक्त बहुत ही श्रद्धा भाव से इस पवित्र महीने के दिन का आनंद लेते है और अपने आराध्य भगवान शिव की उपासना करते है। इस दौरान भक्त सावन सोमवार व्रत कथा भी सुनते है।
सावन का सोमवार पूजा का शुभ मुहूर्त – Sawan Ka Somwar Puja Ka Shubh Muhurt
पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:59 बजे से 9:10 बजे के बीच का है। ऐसा माना जाता है की श्रावण महीने के सोमवार व्रत करने से पूरे साल के सभी सोमवार व्रतों का फल मिल जाता है।
अलग -अलग स्थानों पर कैसे मनाते हैं सावन का सोमवार
सावन का सोमवार पूरे देश मे एक त्योहार के रूप मे मनाया जाता हैं। इस त्योहार को सभी लोग पूरे परंपरा के साथ कई वर्षों से बडे़ धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनाते आ रहे हैं। भगवान शिव को सावन का देवता ( Sawan Ka Devata ) कहते हैं, क्योंकि इस महीने मे श्रद्धा और प्रेम से किया गये पूजा अर्चना से भगवान प्रसन्न होकर सुनते है और अपने भक्तो की सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करते हैं। पूरे देश सावन का सोमवार बडे़ ही धूमधाम से मनाया जाता हैं।
दक्षिणी और पूर्वी भारत मे सावन के अवसर पर शिव मंदिरो मे भक्तों की भीड़ उमड़ जाती हैं। उत्तरी भारत मे सावन महीने की तारीख और दक्षिण भारत मे सावन महीने की तिथि अलग-अलग होती हैं। दरअसल उत्तर भारतीय पौर्णिमान्त कैलेन्डर को मानते हैं और दक्षिण भारतीय मे अमवस्यांत कैलेंडर को मानते हैं इसलिए दोनों के बीच 15 दिनों का मामला हो जाता हैं।
वहीं पश्चिमी भागो की बात करे तो उधर अमावस्या से तिथियों की गणना होती हैं । इन दोनों जगह सावन के सोमवार का बड़ा महत्व हैं , भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं इसलिए सभी लोग बडे़ हर्षोल्लास के साथ भगवान शिव की पूजा व उपवास करते हैं ताकि उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाये।
वही गुजरात मे सोमनाथ व नागेश्वर जैसे दो ज्योतिर्लिगो कि पूजा के लिए सावन महीने मे सभी भक्त दू-दूर से इनके दर्शन प्राप्ति के लिए आते ही। गुजरात के पांरपरिक पंचाग मे श्रावण का साल के 10 महीना माना जाता हैं। सावन के अवसर पर भगवान शिव व माता लक्ष्मी कि पूजा की जाती हैं ,यहां पर हर सोमवार को भगवान शिव व मंगलवार को सभी महिलाएँ मंगला गौरी का व्रत ( Mangla gauri ka vart ) रखकर पूजा करती हैं। गुजरात के अलावा और भी राज्य जैसे आन्ध्रप्रदेश,महाराष्ट्र गोवा,कर्नाटक और तमिलनाडु मे भी अमावस्या से कैलेण्डर मे मास का आरंभ माना जाता हैं। गुजरात मे गौपूजा का अत्यधिक महत्व हैं वहां पर सभी कुवांरी लड़कियाँ सावन के महीने मे अपने योग्य वर की प्राप्ति के लिए गौपूजा करती हैं।
सावन मास को आध्यात्मिक व स्वस्थ चेतना का महीना माना जाता हैं,सावन मे भगवान शिव की पूजा, अराधना व स्मरण से अत्यधिक लाभ होता हैं और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होता हैं। सावन के महीना का अत्यधिक मान्यता होने के कारण यह सपूर्ण देश मे बड़े श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।