Shakti Peeth – शक्ति पीठ

Shakti Peeth

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जहां सती माता के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गए। ये शक्ति पीठ अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। माता सती के अंग के टुकड़े कैसे हुए? कौन थी सती माता? माता सती की कहानी? जाने पुरी कहानी शक्ति पीठ की।

पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति ने कनखल जो आज हरिद्वार के नाम से जाना जाता है, यह पर ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ करवा रहे थे। दक्ष प्रजापति ने उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर शिव जी को नहीं बुलाया। माता सती शिव जी की पत्नी और दक्ष की पुत्री थी जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो अपने पिता से इस बात का कारण पूछने वह गयी। इस बात पर दक्ष प्रजापति उग्र हो गए और आवेश में भगवान शिव को अपशब्द कहे।

शिव जी के घोर अपमान से माता सती आहत हो उठी और उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिया। भगवान शिव को जब इस बात का पता चला तो वो भयंकर क्रोधित हो गए। अपनी जटा के कुछ केश नोच कर ज़मीन पर फेक दिया जिससे वीरभद्र का रूप प्रकट हुआ शिव जी वीरभद्र के रूप में यज्ञस्थल पर गये। उनके इस रूप से सभी लोग भाग गए। शिव जी वीरभद्र रूप ने राजा यक्ष का वध कर दिया और यज्ञ को खंडित कर दिया। भगवान शिव ने ने यज्ञकुंड से माता सती के पार्थिव शरीर लेकर विचितलित हो उठे और अपना क्रोधी स्वरुप धारण कर लिया उनको शांत करने के लिए सभी उपाय सोचने लगे सब विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को कई हिस्सों में कांट दिया। तदनंतर वे टुकड़े ५२ अलग अलग स्थानों पर गिरे। वे सभी ५२ स्थान शक्तिपीठ कहलाए।

जाग्रत शक्तिपीठ (shakti peeth)

  1. काली माता कलकत्ता
  2. हिंगलाज भवानी
  3. शाकम्भरी देवी सहारनपुर
  4. विंध्यवासिनी शक्तिपीठ
  5. चामुण्डा देवी हिमाचल प्रदेश
  6. ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश
  7. कामाख्या देवी असम
  8. हरसिद्धि माता उज्जैन
  9. छिन्नमस्तिका पीठ रजरप्पा

उसके बाद जब शिव जी शांत हुए तब जब ब्रह्मा जी ने यज्ञ को पूरा करने के लिए शिव जी से विनती की वो राजा यक्ष को जीवित करे तब शिव ने बकरे लगा कर जीवित किया इस प्रकार राजा दक्ष को बकरे का सिर मिला।

Shakti peeth in India

क्रम सं०स्थानअंग या आभूषणशक्तिभैरव
1हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व मेंब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग)कोट्टरीभीमलोचन
2शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट, इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है।आँखमहिष मर्दिनीक्रोधीश
3सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 कि॰मी॰ दूर सोंध नदी तीरेनासिकासुनंदात्रयंबक
4अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीरगलामहामायात्रिसंध्येश्वर
5ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेशजीभसिधिदा (अंबिका)उन्मत्त भैरव
6जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाबबांया वक्षत्रिपुरमालिनीभीषण
7अम्बाजी मंदिर, गुजरातहृदयअम्बाजीबटुक भैरव
8गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिरदोनों घुटनेमहाशिराकपाली
9मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत के निकट एक पाषाण शिलादायां हाथदाक्षायनीअमर
10बिराज, उत्कल, उड़ीसानाभिविमलाजगन्नाथ
11गण्डकी नदी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिरमस्तकगंडकी चंडीचक्रपाणि
12बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि॰मी॰बायां हाथदेवी बाहुलाभीरुक
13उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि॰मी॰दायीं कलाईमंगल चंद्रिकाकपिलांबर
14माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाँव, उदरपुर, त्रिपुरादायां पैरत्रिपुर सुंदरीत्रिपुरेश
15छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेशदांयी भुजाभवानीचंद्रशेखर
16त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगालबायां पैरभ्रामरीअंबर
17कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असमयोनिकामाख्याउमानंद
18जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगालदायें पैर का बड़ा अंगूठाजुगाड्याक्षीर खंडक
19कालीपीठ, कालीघाट, कोलकातादायें पैर का अंगूठाकालिकानकुलीश
20प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेशहाथ की अंगुलीललिताभव
21जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेशबायीं जंघाजयंतीक्रमादीश्वर
22किरीट, किरीटकोण ग्राम, लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि॰मी॰ दूरमुकुटविमलासांवर्त
23मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेशमणिकर्णिकाविशालाक्षी एवं मणिकर्णीकाल भैरव
24कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडुपीठश्रवणीनिमिष
25कुरुक्षेत्र, हरियाणाएड़ीसावित्रीस्थनु
26मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थानदो पहुंचियांगायत्रीसर्वानंद
27श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेशगलामहालक्ष्मीशंभरानंद
28कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगालअस्थिदेवगर्भरुरु
29कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेशबायां नितंबकालीअसितांग
30शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेशदायां नितंबनर्मदाभद्रसेन
31रामगिरि, चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेशदायां वक्षशिवानीचंदा
32वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, निकट मथुरा, उत्तर प्रदेशकेश गुच्छ/
चूड़ामणि
उमाभूतेश
33शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि॰मी॰ कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडुऊपरी दाड़नारायणीसंहार
34पंचसागर, अज्ञातनिचला दाड़वाराहीमहारुद्र
35करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि॰मी॰ शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेशबायां पायलअर्पणवामन
36श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेशदायां पायलश्री सुंदरीसुंदरानंद
37विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगालबायीं एड़ीकपालिनी (भीमरूप)शर्वानंद
38प्रभास, 4 कि॰मी॰ वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरातआमाशयचंद्रभागावक्रतुंड
39भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेशऊपरी ओष्ठअवंतिलंबकर्ण
40जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्रठोड़ीभ्रामरीविकृताक्ष
41सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेशगालराकिनी/
विश्वेश्वरी
वत्सनाभ/
दंडपाणि
42बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थानबायें पैर की अंगुलीअंबिकाअमृतेश्वर
43रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगालदायां स्कंधकुमारीशिवा
44मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा परबायां स्कंधउमामहोदर
45नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगालपैर की हड्डीकलिका देवीयोगेश
46कर्नाट, अज्ञातदोनों कानजयदुर्गाअभिरु
47वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि॰मी॰ दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगालभ्रूमध्यमहिषमर्दिनीवक्रनाथ
48यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेशहाथ एवं पैरयशोरेश्वरीचंदा
49अट्टहास, 2 कि॰मी॰ लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगालओष्ठफुल्लराविश्वेश
50नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगालगले का हारनंदिनीनंदिकेश्वर
51लंका, स्थान अज्ञात, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है। एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है)पायलइंद्रक्षीराक्षसेश्वर
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