शनि जयंती 2024
Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पूरे उत्तर भारत में पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह तिथि 06 जून 2024 को है। वहीं दक्षिणी भारत के अमावस्यांत पंचांग के अनुसार शनि जयंती वैशाख अमावस्या को मनाई जाती है। संयोगवश उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के साथ-साथ वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है।
शनि जयंती तिथि – 06 जून 2024
शनि जयंती शुभ मुहूर्त ( shani jayanti muhurat )
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 06 जून 2024 को सांय 09:42 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त – 07 जून 2024 को रात्रि 09:22 बजे तक
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who is shani dev ( कौन है शनि देव )
भगवान सूर्य तथा संवर्णा(छाया ) के पुत्र हैं शनि देव । इन्हें क्रूर ग्रह के नाम से भी जाना जाता है जो कि इन्हें पत्नी के श्राप के कारण मिला है। ये गिद्ध की सवारी करते हैं। शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण कृष्ण है व ये गिद्ध की सवारी करते हैं। ज्योतिषों के अनुसार – शनि को अशुभ माना जाता है व 9 ग्रहों में शनि का स्थान सातवां है। ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। शनि की महादशा 19 वर्ष तक रहती है।
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शनि की गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से 95वें गुणा ज्यादा मानी जाती है। माना जाता है इसी गुरुत्व बल के कारण हमारे अच्छे और बूरे विचार चुंबकीय शक्ति से शनि के पास पंहुचते हैं जिनका कृत्य अनुसार परिणाम भी जल्द मिलता है। असल में शनिदेव बहुत ही न्यायप्रिय राजा हैं। यदि आप किसी से धोखा-धड़ी नहीं करते, किसी के साथ अन्याय नहीं करते, किसी पर कोई जुल्म अत्याचार नहीं करते, कहने तात्पर्य यदि आप बूरे कामों में संलिप्त नहीं हैं तब आपको शनि से घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि शनिदेव भले जातकों को कोई कष्ट नहीं देते।
इन बातों का रखें ध्यान
- शनिदेव की तस्वीर को देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिये।
- शनि देव की पूजा करने के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिये।
- शनिमंदिर के साथ-साथ हनुमान जी के दर्शन भी जरूर करने चाहिये।
- शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।
- इस दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।
- किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिये।
- गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।
- बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।
- सूर्यदेव की पूजा इस दिन न ही करें तो अच्छ
प्रभाव शनि देव का
द्वादशे जन्मगे राशौ द्वितीये च चनैश्चर:
साद्र्धानि सप्तवर्षाणि तदा दु:खैर्युतो भवेत्.
इसका अर्थ ये है कि शनि जब गोचर से जन्म कुंडली के 12 वें भाव में विराजमान हों तो सिर, जन्म राशि पर हों तो हृदय और जन्म राशि से द्वितीय स्थान में हों तो पैर पर शनि अपना प्रभाव डालते हैं.
इन राशियों पर है शनि की नज़र
शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या है. इसलिए इन राशि वालों को विशेष ध्यान देने की जरुरत है. शनि एक न्याय प्रिय ग्रह हैं. इसलिए इन्हें अन्याय पसंद नहीं है. कलयुग में शनि को मनुष्य को उसके किए गए कर्मों का फल इसी जन्म में देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए शनि देव व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का फल उसे इसी जन्म में प्रदान करते हैं. शनि को धोखा देने वाले, स्वार्थी, दूसरों के हक का अतिक्रमण करने वाले और रिश्वत लेने वाले व्यक्ति बिल्कुल भी पसंद नहीं है. ऐसे लोगों को भी शनि कठोर दंड देते हैं.
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