vat savitri puja 2020 : हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को उत्तर भारत की सुहागिनों द्वारा तथा ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को दक्षिण भारत की सुहागिन महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि – वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।
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शुभ मुहूर्त और तिथि ( Shubh muhurt and Date)
Kab hai vat savitri puja
वट सावित्री व्रत ( Vrat ) की तिथि: 22 मई 2020
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को रात 9 बजकर 35 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 8 मिनट तक
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वट सावित्री पूजा की पौराणिक कथा ( vat savitri puja ki pauranik katha )
पौराणिक कथावो केअनुसार – सावित्री के पति सत्यवान अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति(सत्यवान ) अल्पायु है। आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं।
इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी।सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है। सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं।
सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि ( vat savitri puja ki puja vidhi )
जल, अक्षत, रोली, कपूर, पीसे चावल-हल्दी का लेपन (ऐपन), पुष्प, धूप-दीप, रक्षा-सूत्र आदि से पूजन करें। इसके पश्चात कच्चे सूत से वट वृक्ष को बांध दें। फिर यथा शक्ति बताए गए। संख्यानुसार परिक्रमा करके भगवान विष्णु के साथ यमदेव को प्रसन्न करना चाहिए। नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए परिक्रमा करना शुभ होता है-
मंत्र ( Mantra )
“यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सर्वानि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।”